गुरुवार, 18 जनवरी 2018

...तुम वो चोर पाकेट हो...


जिंंदगी की कोट में
तुम वो चोर पाकेट हो
जिसे दर्जी ने खास 
मेरे लिए सिला,पर
कोट देते वक्त बताया नहीं
चोर पाकेट से अनजान मैं
बाहरी पाकेट में चाहती थी 
सहेजना खुशियां, पर
कभी सड़क के गड्ढे
तो कभी स्पीडब्रेकर की 
ठोकर से वो फुदक कर
बाहर जा बैठीं,
उस दिन जब अचानक नजर
पड़ी मेरी इस चोर पाकेट पर तो
सहसा यकीन नहीं हुआ
ख्याल आया, मेरा ही कोट है यह?
जिसमें अनगिनत खुशियां 
सहेजीं थीं दर्जी ने मेरे लिए
चोर पाकेट को मैं दिखा ना पाऊं
चाहे सब को, लेकिन इसमें
संजोया है मैंंने असली मुस्कान
जो जिंदगी की पूंजी और
पूरा वजूद हैं मेरा, शायद , हां शायद ही
कभी तुम समझ जाओ मेरी बात
और चोर पाकेट से मेरे प्रेम को...

रजनीश आनंद