बुधवार, 24 फ़रवरी 2016

..तू इतनी बेवफा क्यों है?

गूगल से साभार
जिंदगी तू इतनी, बेवफा क्यों हो गयी?
मैंने तो शिद्दत से मोहब्बत की थी,
हर पल देखा था तुझे,
आंखों में खूबसूरती भर कर,
फिर क्यों तूने,
कुरूपता का ऐसा मंजर दिखा दिया,
चाहा था क्या मैंने तुझसे,
यही ना कि हाथ थामकर,
दो पल मीठी बातें कर सकूं,
सिर रखकर तुम्हारे कांधे पर,
भविष्य के सपने बुन सकूं,
और तुम मेरे उलझे बालों को,
सुलझाते हुए मुझे प्यार की थपकी दो.
ना तो कोई अधिकार मांगा था
ना कर्तव्य गिनाएं थे, फिर क्यों?
जिंदगी तू इतनी, बेवफा हो गयी?

रजनीश आनंद
24-02-16

रविवार, 14 फ़रवरी 2016

क्या है प्यार?

गूगल से साभार
दीवानी थी मैं उसके प्यार में
लोगों ने कहा, बावली है तू
वो तुझसे प्यार नहीं करता, 
हो सकता है...
पर प्यार कहां यह समझता है,
वह कहां जानना चाहता है,
कि वह मुझसे प्यार करता है या नहीं
वो तो कहता है मैं तुम्हारी हूं
जब देखती हूं तुम्हें, धड़क उठता है दिल
तुम्हारी खुशबू से तरोताजा हो जाती जिंदगी
प्यार नहीं पूछता तुम कौन हो,
क्या है तुम्हारी जाति-धर्म
वो तो बस यह कहता है
तुम मेरे हो...
पास हो या दूर हो
तुम मेरे हो..
जब तक चलेगी सांसें मेरी
तुम मेरे और मैं तुम्हारी रहूंगी.
प्यार बस इतना ही तो कहता है
बस इतना ही तो कहता है...
रजनीश आनंद
14-02-15

गुरुवार, 11 फ़रवरी 2016

हां मैंने प्यार किया...

गूगल से साभार
‘टाइटेनिक’ का जैक याद है आपको? एक लापरवाह युवक, लेकिन प्रेम में अपना सबकुछ गंवाने को तैयार. जिसने मोहब्बत की तो शिद्दत से की. प्यार उसके लिए इतना मायने रखता था कि उसने अपनी जिंदगी की परवाह नहीं की और अपनी प्रेमिका का हाथ थामे वह इस जग को अलविदा कह गया. उस जैक की मुस्कान अद्‌भुत थी.

प्रेम में पागल लोग रितिका को बहुत भाते थे. तभी तो कॉलेज के दिनों जब उसने ‘टाइटेनिक’ देखी, तो वह जैक की दीवानी हो गयी थी और उसकी दिली ख्वाहिश थी कि उसे भी कोई जैक की तरह प्यार करे. जिसकी आंखों में डूबकर वह इस कदर खो जाये कि उसे जीवन में कुछ और पाने की तमन्ना ही ना रह जाये.

लेकिन जिंदगी के सफर में उसने जिसे अपना जैक समझा, वह उसे दगा दे गया. मन की बेचैनी मिटाने का उसके पास दो ही जरिया था. एक तो उसका बेटा, जिसे वह कसकर सीने से लगा लेती और जब दोनों की धड़कने एक साथ धड़क उठती तो उसे बड़ा सुकून मिलता. दूसरा उसके भगवान. बचपन से ही उसे भगवान शिव अपने पिता के समान लगते थे, बड़े होने के बाद एक और व्यक्तित्व ने उसे अपनी ओर खींचा, जी हां ‘जीसस क्राइस्ट.’ उसे भगवान शिव और जीसस एक से लगते. जिनके पास वह अपने दिल की बात करती. जितना सुकून उसे शिवलिंग पर अपना माथा टेकने से मिलता, उतना ही चर्च में जीसस के सामने घुटने टेकते हुए. उसे लगता जैसे वह अपने पिता से मन की बात कर रही हैं और जब उसके आंसू निकलते , तो पिता के प्रेम का अहसास उसे बखूबी होता.

अमन के व्यवहार से जब भी उसे चोट पहुंचती , पिता से दुलार की चाह में रितिका शिवमंदिर या फिर चर्च जाती. आज उसे चर्च जाने का मन था, वह संडे को चर्च नहीं जाती थी, उस दिन वहां काफी भीड़ होती है. उस दिन वह अमन के बारे में बात करते हुए नतमस्तक वेदी के पास बैठी थी. तभी उसे लगा जैसे यीशु ने उसके सिर पर हाथ फेरा और वह फफक पड़ी.

तभी उसके कानों में एक आवाज गूंजी. ‘वॉय यू आर क्राइिंग’? जीसस नॉट हैप्पी विथ यू.’ उस आवाज में काफी अपनापन था, रितिका ने आंखें खोली. सामने एक युवक खड़ा था. उसे लगा, जैसे वह जैक है. हां, बिलकुल  जैक. कुछ बोलती इससे पहले ही उसने दोहराया, ‘जीसस नॉट हैप्पी विथ यू. वॉय यू आर क्राइिंग इन चर्च.’ इतना कहकर उसने रितिका का हाथ थामा और उसे वहां से उठा दिया. उसके स्पर्श में अपनेपन का सुख था. ना जाने क्यों रितिका ने उससे कुछ नहीं कहा. वह उसका हाथ थामे, उसे एक बेंच तक ले गया और उसे वहां बैठा दिया. फिर वह खुद भी वहां बैठ गया. 30-31 साल के उस युवक की आंखें जैक की तरह नीली तो नहीं लेकिन भूरी थीं. उसने अपनत्व दिखाते हुए रितिका के आंसुओं को पोंछा, कहा ‘डॉन्ट क्राई. जीसस नो आल दिंग्स, हि प्लान समथिंग डिफरेंट फॉर यू.’

फिर उसने रितिका के दाहिने हाथ को अपने दोनों में थामा और कहा, ‘हाय आई एम जेम्स, फॉरम अमेरिका. एंड यू?’ रितिका को उसके व्यवहार से सुखद अनुभूति हुई. उसके आंसू थम गये और उसने रोना बंद कर दिया. जैक ने फिर उससे कहा फ्रेंड्‌स और उसके दोनों हाथों को थाम लिया.
दोस्ती की इस अद्‌भुत पहल को रितिका नकार ना सकी और हां में सिर हिेला दिया. जैक ने उसके दोनों हाथों को चूम लिया और कहा, ‘आई बिलिव इन लॉन्गटाइम रिलेशनशिप, डू यू एग्री.’
जैक (जेम्स) के व्यवहार में इतना अपनापन था कि रितिका उसकी ओर खींची चली जा रही थी, वह खुद समझ नहीं पा रही थी कि वह जैक को रोक क्यों नहीं रही है. वह कुछ मिनट से उसका हाथ थामे बैठा था, लेकिन उसने उसे मना नहीं किया, उलटे उसे जैक का व्यवहार भा रहा था. अचानक वह उठा और जीसस क्राइस्ट की ओर चला गया. कुछ देर प्रेयर करने के बाद वह फिर सीधे उसके पास आया और उसके मस्तक को चूमकर बोला, ‘नॉव बी हैप्पी. जीसस सेंड मी फॉर यू. योर प्राब्लम्स इज नॉव माइन.’

उसके इस व्यवहार पर रितिका हैरान थी, उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ यह सब क्या हो रहा है. तभी उसने फिर से कहा, ‘कम आन चियरअप. व्हेयर यू लिव? कैन आई ड्रॉप यू.’ जैक के इस सवाल पर रितिका चौंकी. उसने कहा, मैं यहीं बगल में रहती हूं, चली जाऊंगी. उसने रितिका का हाथ पकड़ लिया, कहा, ‘अलाऊ मी, आई फिल हैप्पी टू ड्रॉप यू.’ उसके शब्दों में अपनेपन का इतना बोध था कि रितिका उसके साथ हो ली. उसके पास एक कार थी. उसने बताया कि वह एक एनजीओ के लिए काम करता है. वह हाल ही में भारत आया है और पंद्रह दिनों के बाद वापस चला जायेगा.

जैक उसे घर के बाहर छोड़कर चला गया. रितिका उसे जाता हुआ देख रही थी, उसने मुस्कुरा कर कहा, ‘शी यू लेटर’ और वह चला गया. रितिका को उसका जाना अच्छा नहीं लगा. वह घर के अंदर दाखिल हुई. लेकिन उसका मन बेचैन था. वह निर्णय नहीं कर पा रही थी कि आज उसके साथ जो कुछ हुआ, वह सही था या गलत. क्या उसे जैक के व्यवहार पर नाराज होना चाहिए था, लेकिन वह अपने मन से भाग नहीं पा रही थी, क्योंकि उसका मन जैक के व्यवहार से खुश था. उसे उसके व्यवहार से वो खुशी मिली थी, जिसकी चाहत उसे बचपन से थी. उसके व्यक्तित्व के जादू से रितिका खुद को निकाल नहीं पा रही थी. उसकी आंखें, उसकी मुस्कान और उसकी बातें. रितिका ने जिस प्यार की चाहत अमन से की थी, वो उसे जैक दे रहा था. उसके दिमाग में यह बात चल रही थी, क्या एक शादीशुदा औरत को इस तरह के संबंध में विश्वास करना चाहिए. दुनिया वाले क्या सोचेंगे? यह सवाल उसके दिमाग में चल रहे थे. लेकिन उसके मन में तो जैक था, उसकी बातें थीं, जिससे वह खुद को निकाल ही नहीं पा रही थी.

एक सप्ताह यूं ही निकल गया. अचानक रितिका को याद आया, अरे जैक तो 15 दिनों में वापस जाने वाला था. लेकिन मैं उससे कैसे मिलूं. कुछ भी तो नहीं मालूम, ना मैंने फोन नंबर लिया है और ना यह जानती हूं कि वह कहां ठहरा है. रितिका को अपनी बेवकूफी पर बहुत गुस्सा आ रहा था. रितिका जैक से मिलने के लिए बेचैन हो गयी. जब उसे कुछ समझ नहीं आया, तो वह तैयार होकर चर्च के लिए निकल पड़ी. चर्च पहुंचते ही उसे जैक गेट पर खड़ा मिला. नीली जींस और लाल टी-शर्ट में वह बहुत आकर्षक लग रहा था. उसे देखते ही जैक मुस्कुराया. उसके चेहरे पर हल्की दाढ़ी थी, रितिका को देखते ही उसने कहा-‘आई नो यू डेफिनेटली कम. गॉड मेक अस फॉर इच अदर.’ उसने आगे बढ़कर रितिका का हाथ थाम लिया और उसे लेकर अपनी कार तक गया. उसने कार का दरवाजा खोला और कहा, ‘हैव ए कप आफ कॉफी विथ मी?’ रितिका कार में बैठ गयी. वह उसे लेकर एक कॉफी शॉप में गया. दोनों आमने-सामने बैठे, उसने कॉफी का आर्डर दिया, फिर उसके हाथों को थाकर कहा, ‘लेट टेल मी, वॉय यू आर आलवेज क्राइिंग. वॉट इज द प्राब्लम?’ उसने रितिका के हाथों को जोर से थाम लिया. उसके स्पर्श में इतना अपनापन था कि रितिका के सब्र का बांध टूट गया और ना जाने क्यों वह फफक पड़ी. रितिका ने उसे अपने और अमन के बारे में सारी बातें बतायी. उसने उसे बताया कि किस तरह अमन ने उसे और उसके बेटे को अकेला छोड़ दिया.


रितिका के आंसू देख जैक भी भावुक हो गया,वह अपनी कुर्सी से उठा और रितिका के पास आकर उसे बांहों में भर लिया. फिर दोनों दिल खोलकर रोये. रितिका को लगा, जैसे कोई अपना आज उससे उसकी दिल की बात पूछ रहा है और अपने दुखों को बताकर वह अपना जी हल्का कर रही है. थोड़ी देर दोनों वैसे ही रोते रहे. फिर जैक ने रितिका को खुद से अलग किया और उसके आंसुओं को पोंछते हुए कहा, ‘डॉन्ट क्रॉय, आईएम हियर फॉर यू.’ उसने कहा, हमेशा वैसा
ही नहीं होता, जैसा हम चाहते हैं. संभवत: तुम्हारे पति की किस्मत में एक अच्छी पत्नी नहीं है.

वह अपनी जगह पर बैठ गया और रितिका के दोनों हाथों को अपने हाथ में लेकर उसे एकटक देखता रहा. उसकी जुबां खामोश थी, लेकिन उसकी जादुई आंखें बहुत कुछ कह रहीं थीं. उसने आंखों ही आंखों में रितिका को कहा, मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं, परेशान मत हो.  कुछ देर में वेटर कॉफी दे गया. जैक ने बहुत प्यार से काफी का कप रितिका की ओर बढ़ा दिया.

काफी पीते हुए उसने रितिका की ओर देखा और अचानक उसका हाथ थामकर कहा, ‘विल यू मैरी मी.’ रितिका को इस बात की जरा भी उम्मीद नहीं थी कि जैक उससे ऐसी कोई बात कह सकता है. उसका मन जैक की जादुई आंखों की गिरफ्त से निकलना नहीं चाहता था, लेकिन उसके दिमाग ने कहा, तुम शादीशुदा हो. उसने जैक से अपना हाथ छुड़ा लिया और कहा, मेरी शादी हो चुकी है. जैक ने फिर से उसका थाम लिया और कहा, यह शादी बेमानी है. रितिका-लेकिन हमारे देश में लड़कियों को दूसरी शादी की इजाजत नहीं है.
जैक की आंखें निराश थी, लेकिन उसने फिर कोशिश की, मैं तुम्हारे बेटे को पिता का प्यार दे सकता हूं, जिसकी उसे जरूरत है. तुम चाहो, तो उसे बता सकती हो मैं उसका पिता हूं.

रितिका- लेकिन वह अपने पिता को पहचानता है. एक बार फिर जैक की जादुई आंखों में निराशा थी. लेकिन उसने मुस्कुराकर कहा, कोई बात नहीं लेकिन मैं जीसस के बनाये रिश्ते को तोड़ना नहीं चाहता. क्या हम आजीवन दोस्त बनकर रह सकते हैं. मैं तुमसे मिलने आता रहूंगा.

जैक के इस प्रस्ताव को रितिका ठुकरा नहीं सकी. जैक की जादुई आंखें चमक उठीं. उसने कहा, ‘आई लिव योअर कंट्री डे आफ्टर टुमारो.’ उसने रितिका से कहा, ‘प्लीज गिव मी ए डे. आई वॉन्ट टू फील यू.’ रितिका ने उसके अनुरोध को स्वीकार करते हुए कहा, यस आई विल गिव यू ए डे. फिर दोनों कॉफी शॉप से उठ गये और चर्च पहुंचे. जीसस के समाने बेंच पर बैठकर दोनों ने खूब सारी बातें की. जैक ने विवाह का प्रस्ताव एक बार फिर रितिका को दिया, लेकिन इस बार रितिका ने उसकी कान पकड़कर उसे मना कर दिया. शाम घिर आयी थी. रितिका ने घर जाने की बात की. जैक तैयार हो गया, वह रितिका का हाथ थाम कार की ओर बढ़ा. तभी रितिका ठिठक गयी, जैक पलटा, ‘वॉट हैप्पन?’ रितिका ने कहा- ‘आई वॉन्ट टू टेल समथिंग. जैक-गो अहेड. रितिका-प्लीज गीव मी ए.... इसके आगे वह बोल नहीं सकी. उसने देखा जैक की जादुई आंखों में अजीब सी चमक आ गयी है, वह उसके करीब आया और पूछा-आइ गिव यू व्हॉट? डॉन्ट फिल शॉय शे.’ जैक की आंखों में डूबकर रितिका ने कहा-‘गिव मी ए हग’. इस बार जैक जोर से चीखा- ओ माई गॉड. वह जमीन पर बैठ गया, ओ जीसस. फिर वह उठा-अपनी जादुई आंखों से उसने रितिका को निहारा और कहा- ‘यस कम आन आई गिव यू ए हग.’ उसकी आंखें खुशी से चमक उठीं. उसने दोनों हाथों को रितिका की ओर फैला दिया. रितिका भागकर उसकी बांहों में समा गयी. जैक का आलिंगन  अद्‌भुत था. रितिका को ऐसा सुखद अनुभव कभी नहीं हुआ था.उसे लगा जैक की धड़कन और उसकी धड़कन एक हो गयी है. उसने जैक के सांसों की खुशबू महसूस की और उसे ऐसा लगा, यह आलिंगन तो सिर्फ उसका था. जैक उसे बांहों में समेटे था, वह दोनों एक दूसरे से अलग नहीं होना चाहते थे, लेकिन फिर रितिका को अपने बेटे का ख्याल आया और उसने जैक से कहा, मुझे घर जाना है.

जैक ने कहा, हां घर पर हमारा बेटा तुम्हारे इंतजार में होगा. जैक के मुंह से अपने बेटे के लिए यह संबोधन सुनकर रितिका को बहुत अच्छा लगा. अगले दिन जल्दी आने का वादा करके वह चली गयी.
घर जाकर रितिका बहुत खुश थी. उसने बेटे के साथ समय बिताया और उसे सुलाकर जब वह उठी, तो सहसा उसकी नजर आईने पर चली गयी. उसे लगा वह आज काफी सुंदर नजर आ रही है. फिर उसने सोचा क्या वह सचमुच सुंदर है या वह खुद को जैक की नजरों से देख रही है. जैक उम्र में उससे 4-5 पांच साल छोटा होगा. आखिर क्यों फिर वह उसका दीवाना हुआ जा रहा है.

अगले दिन जब वह जैक से मिलने के लिए घर से निकली तो उसे अमन का ख्याल आया. उसे लगा क्या वह गलत करने जा रही है. वह एक शादीशुदा औरत है. भले ही उसका पति उसे छोड़ चुका है, लेकिन आफिसियली तो अभी भी वह उसका पति है. लेकिन जैक की जादुई आंखों का ध्यान आते ही वह घर से निकल पड़ी. रास्ते में वह यह सोचती जा रही थी कि आखिर क्यों उसे अमन की बांहों में वह सुकून कभी नहीं मिला, जो जैक की बांहों में है.  अमन के लिए वह किसी और के प्यार को पाने का जरिया थी, लेकिन जैक तो उसे उसके संपूर्ण अस्तित्व के साथ प्यार करता था.

उसे यह महसूस हो रहा था कि आज जैक और उसके बीच कोई नहीं आ सकता. वह सीधा चर्च के गेट पर पहुंची. ग्रे कलर की टी शर्ट और ब्लेजर में वह रितिका को दुनिया का सबसे खूबसूरत युवक लगा था. सच है खूबसूरती तो देखने वालों की आंखों में होती है, जो उसे भा जाये, वह सबसे सुंदर बाकी खूबसूरती कोई मायने नहीं रखती.
उसने रितिका का हाथ थामा और कहा-‘कम माई लव. फर्स्ट वी मिट टू जीसस.’ दोनों चर्च के अंदर गये और भगवान के सामने नतमस्तक हुए. जैक ने अपने पॉकेट से एक अंगूठी निकाली और उसे रितिका को पहनाते हुए कहा-‘गॉड मेड आवर रिलेशन एंड दिस रिंग इज सिंबॉल आफ आवर लव.’ रितिका को अजीब सी खुशी महसूस हुई, उसकी आंखें भर आयी, इससे पहले की आंखें छलकतीं, जैक ने कहा- ‘नो-नो डॉन्ट डू दिस.’
फिर जैक ने उसका हाथ पकड़ा और दोनों आकर कार में बैठ गये. रितिका ने अपना सिर जैक के कंधे पर रख दिया था. वह उसे लेकर वहां गया, जहां वह पिछले 15 दिनों से रह रहा था. रितिका ने जैक से पूछा-तुम यहां रह रहे थे. काफी साधारण सा कमरा था. उसने फिर पूछा, तुम्हें हिंदी नहीं आती क्या? जैक इस बार भी चुप था. रितिका समझ गयी उसे हिंदी नहीं आती. इस बात का फायदा उठाते हुए रितिका ने सोचा क्यों ना वह अपने प्यार का इजहार जैक से कर दे. यह सोचकर वह जैक के पास गयी और उसने उसका हाथ थाम लिया, उसने जैक की आंखों में आंखें डालकर कहा, मैं एक शादीशुदा औरत हूं, लेकिन ना जानें क्यों मैं तुमसे अपने को प्यार करने से नहीं रोक सकी. मैं चाहती तो यह हूं कि पूरी दुनिया छोड़ तुम्हारे साथ चली जाऊं, लेकिन यह संभव नहीं है. सामाजिक बाध्यताएं हैं. अगर मैं तुम्हारे साथ जाती हूं, तो मेरे बेटे पर उसका बहुत बुरा असर पड़ेगा. इसलिए मैं तुम्हारे साथ नहीं आ सकती. लेकिन मैं यह मानती हूं तुमने जो सुख मुझे दिया वह मेरे लिए अविस्मरणीय है और मैं पूरा जीवन उसके सहारे गुजार लूंगी. हां आज मैं यह कहने में संकोच नहीं कर रही हूं कि मैंने तुमसे प्यार किया है.
रितिका को लगा कि जैक उसकी बातों को समझ नहीं पा रहा है, लेकिन यह उसकी गलती थी, जैक को हिंदी समझ आती थी. रितिका की बातों को सुनकर उसने कहा-‘यस आई अंडरस्टैंड यू.’ उसकी बात सुनकर रितिका घबरा गयी. वह कमरे से बाहर जाने लगी, लेकिन जैक ने उससे कहा- जब मैं सात साल का था, तब मेरे डैड ने मेरी मां को छोड़ दिया. मां ने मुझे काफी मेहनत से पाला है, इसलिए मैं तुम्हारी बातों को समझता हूं, मैं तुम्हें कभी इस बात के लिए बाध्य नहीं करूंगा कि तुम मुझसे शादी करो. बचपन में मैंने अपने डैड को बहुत मिस किया. यह कहकर वह मायूस हो गया. उसकी आंखें भर आयी. रितिका ने उसे सहारा दिया, तो वह उससे लिपट गया और फूट-फूटकर रो पड़ा. फिर अचानक वह उसे छोड़कर उठा और कहा, ‘जीसस डाई फॉर आवर हैप्पीनेस सो वॉय शुड वी क्राई.’ कम आन चियरअप.’ उसने रितिका को बांहों में लिया और उसका माथा चूम लिया. रितिका भी मुस्कुरा उठी. इस बार जैक की आंखें शरारती हो गयी थीं, वह रितिका के करीब आया और कहा, ‘आई वॉन्ट टू फिल यू.’ उसने अपनी मजबूत बांहों में उसे जकड़ लिया और आहिस्ते से उसके होंठों पर अपने होंठों से स्पर्श किया और दोनों एक दूसरे के प्यार में खो गये.
जैक ने उसे वह सबकुछ दिया, जिसकी उसे अपने प्यार से आशा थी. लेकिन जैक तो कल उसे छोड़कर चला जायेगा. रितिका जैक की बांहों में थी, लेकिन उसे कल की चिंता सता रही थी. कल जैक उसे छोड़कर जा रहा था, खुशी इतने कम समय के लिए क्यों मिलती है. रितिका इस सोच में थी, वह जैक को रोकना चाहती थी, लेकिन किस हक से रोकती. जैक ने उसे वह हक देने की कोशिश की थी, लेकिन उसने खुद ही इनकार कर दिया था. वह जैक के सीने से अपना चेहरा निकालना नहीं चाहती थी, लेकिन उसे घर जाना था. जैक से वह कुछ कहती, इससे पहले ही उसने कहा, ‘यस गो होम. आवर सन इज वेटिंग फॉर यू.’ अपने बेटे के प्रति जैक की यह चिंता देख रितिका भावुक हो गयी. लेकिन जिस अधिकार से उसने यह बात कही थी, रितिका ने उसे थैंक्स कहना मुनासिब नहीं समझा.
गू्गल से साभार
जैक ने उसे घर तक छोड़ दिया. घर पहुंचकर वह अपने बेटे के साथ व्यस्त हो गयी, लेकिन उसके दिमाग से यह बात नहीं निकल रही थी कि कल जैक जा रहा है. रात को उसकी आंखें एक मिनट के लिए भी बंद नहीं हुई. उसे सुबह का इंतजार था. सुबह बेटे को स्कूल भेज वह भागती हुए चर्च पहुंची. जैक चर्च की गेट पर ही खड़ा था. उसने रितिका को आलिंगन में लिया और कहा, ‘शे गुडबॉय माई लव. आईएम लिविंग योअर कंट्री. आई मिस यू.’ यह कहकर उसने रितिका का हाथ कसकर पकड़ लिया और उसे साथ लेकर चर्च के अंदर गया. वे दोनों कुछ देर वहां खड़े रहे, उसकी पकड़ मजबूत होती जा रही थी. कुछ देर वहां खड़े रहने के बाद वह रितिका को लेकर उस कार तक आया, जिससे उसे एयरपोर्ट जाना था. ड्राइवर ने कार का दरवाजा खोला, जैक रितिका का हाथ थामे ही अंदर बैठ गया. बैठने के बाद उसने रितिका को अपनी बांहों के घेरे में ले लिया, लेकिन दूसरे हाथ से वह रितिका के एक हाथ को पकड़े हुआ था. उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि रितिका को दर्द हो रहा था, लेकिन वह कुछ नहीं कह रही थी. उसे पता था यह जैक की उसे छोड़कर जाने की पीड़ा है, जो वह कहकर नहीं बता पा रहा है. दोनों खामोश थे, जैक की जादुई आंखें बस रितिका को निहार रही थीं, वह अपनी आंखों में उसे कैद कर लेना चाह रहा था. खामोशी और स्पर्श उनके प्रेम प्रदर्शन का जरिया बना हुआ था.
एयरपोर्ट पर जब विदाई की बेला आयी, तो जैक रितिका का हाथ छोड़ने को तैयार नहीं था. रितिका ने उससे कहा, जाओ तुम्हारे जाने का समय आ गया है, लेकिन वह दोनों हाथों से उसे थामे खड़ा था. रितिका ने आगे बढ़कर उससे कहा-‘गिव मी ए हग, उसकी इस बात पर जैक उससे लिपट गया और ऐसा टूटा जिसकी उसे उम्मीद नहीं थी. जैक लगातार यह कह रहा था, प्लीज कम विद मी, आई कॉन्ट लीव विदआउट यू. प्लीज.’ जैक एयरपोर्ट की औपचारिकताएं पूरी करने जा ही नहीं रहा था, रितिका को लगा उसकी प्लेन छूट जायेगी, तो उसने जैक को खुद से अलग किया और कहा, जाओ अपने देश जाओ, तुम्हारे लोग, तुम्हारा इंतजार कर रहे होंगे. मैं आजीवन तुम्हारी रहूंगी. लेकिन हम साथ नहीं रह सकते, जाओ. वरना मैं समझूंगी तुम मुझसे प्यार नहीं करते. रितिका की इस बात को सुनकर जैक जाने को तैयार हो गया. उसने आगे बढ़कर रितिका को आलिंगन में लिया और उसके होंठों को चूम लिया. फिर वह जाने के लिए तैयार था, उसने रितिका से कहा, मुझे रोज एक लेटर मेल करना, जिसमें तुम अपनी और हमारे बेटे की सारी बातें बताना.
जैक जा रहा था, रितिका ने उसका हाथ छोड़ दिया. उसे लगा उसकी जिंदगी उससे छूट रही है, लेकिन वह कुछ नहीं कर सकती थी. कुछ दूर जाकर जैक पलटा, उसकी आंखों में वही जादुई चमक थी और वह मुस्कुरा रहा था. उसने रितिका को इशारा किया, ‘डोंट क्राई ’और वह चला गया.
रितिका का दिल चाहा कि वह दहाड़ मार रोये,लेकिन उसकी कानों में जैक की आवाज गूंजी- ‘डॉन्ट क्राई, जीसस डाई फॉर आवर हैप्पीनेस.’ वह जैक के प्यार को खुद में समेटे एयरपोर्ट से घर के लिए रवाना हो गयी. उससे जेहन में जैक का मुस्कुराता चेहरा था, जो उसके प्रेम को, जीवन को संपूर्णता दे गया...
रजनीश आनंद
11-02-16

मंगलवार, 2 फ़रवरी 2016

ममता की डील

मातृत्व का अहसास किसी औरत को किस हद तक रोमांचित कर सकता है, इस बात को रितिका ने सिर्फ फिल्मों में ही देखा था. लेकिन उसके जीवन में यह सुख आने से पहले ही उसके प्रेम की बगिया उजड़ गयी. वह अपने जीवन के सफर में अकेली थी. एक दिन वह आफिस से घर लौट रही थी, उसने अॅाटो में अपनी बगल वाली सीट पर बैठी एक महिला को देखा. वेशभूषा से वह निम्मवर्ग की महिला लग रही थी.
लेकिन उसके चेहरे पर अजीब सी खुशी थी, मानो किसी चीज का तेज हो. उसका बच्चा उसकी गोद में बैठा था. वह बच्चे के साथ कुछ-कुछ बोलकर खेल रही थी. उसके चेहरे के तेज को देख रितिका उसकी ओर आकर्षित हो गयी और बात की पहल की. बातों-बातों में उसे पता चला कि उस औरत का पति नहीं रहा, वह तो बस उसके प्रेम की निशानी को सीने से लगाये जी रही है. औरत की उम्र 25-26 साल से ज्यादा नहीं थी.

उसने उस औरत से पूछा, कैसे जीओगी पूरा जीवन अकेले. उस औरत ने हंसते हुए जवाब दिया, यह बच्चा है ना मेरी जिंदगी. जब यह बच्चा मेरे सीने से चिपकता है, तो मुझे ऐसा महसूस होता है, जैसे मुझसे खुशनसीब औरत दुनिया में कोई नहीं. फिर मैं अकेली कैसे. यह तो है मेरे सुख-दुख का साथी. फिर उस औरत ने रितिका की तरफ देखा और पूछा-तुम्हारे बच्चे नहीं है का? रितिका को इस सवाल की उम्मीद नहीं थी, वह असहज हो गयी और घबरा कर कहा, नहीं. वह औरत बोली, तो कर लो, जिंदगी बदल जायेगी.

अॅाटो से उतरते वक्त वह फिर रितिका को बोली, मेरी बात का ध्यान रखना, फिर तुम्हारे चेहरे पर भी खुशी होगी, ऐसा मुंह लटका नहीं रहेगा, तुम्हारा. यह कह वह खिलखिला पड़ी. मुस्कान तो रितिका के चेहरे पर भी आ गयी थी.

घर पहुंच कर वह बहुत परेशान रही, फिर अचानक उसने अपना फोन उठाया और अमन का नंबर डायल किया. उसने फोन पर सिर्फ इतना ही कहा, बहुत जरूरी काम है, जितनी जल्दी आ सको आ जाओ. कुछ देर में अमन रितिका के सामने था. लेकिन आते ही उसने रितिका से कहा, इतना हल्ला क्यों मचाती हो, आराम से भी बात हो सकती थी. अब कहो क्या हुआ, क्यों मरी जा रही थी. रितिका-बात जरूरी थी, इसलिए बुलाया.
अमन-ठीक है, बको.
रितिका-आज तुम्हें फैसला करना होगा. अमन -किस बात का फैसला? रितिका-तुम मुझे अपने साथ लेकर चलो. इस बार अमन चिल्लाया, तुम यह कहते हुए मर भी जाओगी ना, तब ही यह संभव नहीं. तो तुम मेरे पास आ जाओ, यह कहते हुए रितिका ने अमन को बांहों में भरने की कोशिश की. लेकिन उसने उसे रोकते हुए कहा, यह संभव नहीं.
अब रितिका तिलमिला गयी थी, उसने कहा, जो तुम्हारी मरजी होगी, सिर्फ वही होगा क्या? मेरी इच्छा का क्या? क्यों शादी की थी मुझसे. अमन ने कहा, मुझे अच्छी लगी थी, इसलिए शादी थी, लेकिन अब परिस्थितियां बदल गयीं हैं. हमारे रास्ते अलग-अलग हैं. लेकिन मैंने तो साथ चलने के लिए हाथ थामा था, रितिका ने कहा, तुम यूं हाथ झटककर चले जाओगे, मालूम ना था. मैं कैसे जीऊंगी, कभी सोचा है, तुमने?

अमन ने कहा, सोचता हूं, लेकिन क्या करूं. मैं मजबूर हूं. तुम्हारी मजबूरी की सजा मैं क्यों झेेलूं? रितिका ने कहा, अमन थोड़ा नरम हुआ और कहा, अच्छा तुम ही बताअो मैं क्या कर सकता हूं, तुम्हारे लिए? मैंने तुम्हारी जिंदगी खराब की है, इसका अफसोस है मुझे, बोलो क्या चाहती हो.

रितिका ने अमन की आंखों में आंखें डालकर कहा, मुझे बच्चा चाहिए. अमन उसकी बात सुनकर चौंका. लेकिन मैं बच्चा नहीं चाहता. अमन की यह बात रितिका को चुभ गयी. उसने अबतक यही देखा और सुना था कि पति-पत्नी बच्चे का सपना साथ देखते हैं और उसके आने से खुशी का इजहार करते हैं. लेकिन उसके साथ ऐसा कुछ नहीं हो रहा था. उसे बच्चे के लिए पति से लड़ाई करनी पड़ रही थी. लेकिन उसने खुद को संभालते हुए मजबूती से कहा, सिर्फ तुम्हारे चाहने से क्या होता है. उसने अपनी ममता के लिए डील करने का फैसला किया और अमन से कहा, तुम या तो मुझे अपने साथ मुझे ले चलो या फिर तुम्हें मुझे बच्चा देना होगा.

रितिका की आवाज में इतना दृढ़ निश्चय था कि अंतत: वह मान गया. रितिका के आंखों में खुशी थी, क्योंकि उसकी डील पक्की हो गयी थी और उसे उस औरत का चेहरा बार-बार याद आ रहा था, जिसने उसे यह डील करने के लिए प्रेरित किया था.

डील के अनुसार अमन ने रितिका को मातृत्व का तोहफा दिया. जैसे ही उसे यह महसूस हुआ कि उसके अंदर कोई जीवन है, वह भागी-भागी डॉक्टर के पास गयी. डाॅक्टर ने जब उसकी खुशी को कंफर्म किया, तो रितिका को ऐसा महसूस हुआ कि वह खुशी से रो पड़ेगी. मां बनने का अहसास जब इतनी खुशी देता है, तो जब उसकी गोद में उसका अंश साकार स्वरूप में होगा, तो कैसा महसूस होगा,यह सोच वह रोमांचित हो रही थी.

उसे लगा वह अपनी खुशी अमन के साथ बांटें, उसे बताया कि उसे पापा कहने वाला उसके अंदर पल रहा है. वह इतनी खुश थी कि उसने अमन की सारी गलतियां भी माफ कर दी. उसका बच्चा, यह सुख उसे बेचैन कर रहा था.

वह भागकर अमन के पास गयी, उसे सारी बातें बतायी, अमन ने मुस्कुरा कर सिर्फ इतना ही कहा, चलो तुम्हारी इच्छा पूरी हो रही है. अब खुश रहो और मुझसे अब कोई उम्मीद मत करना. अमन की बात रितिका को चुभ गयी. उसे लगा था कि वह खुशी से पागल हो जायेगा, उसे बांहों में भर लेगा. लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं.

अमन ने उससे स्पष्ट कह दिया, तुमने बच्चे की चाह की, मैंने पूरी कर दी. लेकिन मैं इसके परवरिश की जिम्मेदारी नहीं लूंगा. मैं किसी तरह की कोई जिम्मेदारी नहीं लूंगा. बच्चे की चाहत तुम्हारी थी मेरी नहीं, यह बात तुम याद रखना. अमन की बातें रितिका को कड़वी तो लगीं, लेकिन ना जाने क्यों उसे यह भ्रम हो गया था कि अमन बदल जायेगा. अपने बच्चे का चेहरा देख बदल जायेगा...

अमन से मिलकर जब वह वापस जा रही थी, उसने अपने बच्चे से वादा किया-तू मेरा अंश है. तुम्हारी सुरक्षा और परवरिश की सारी जिम्मेदारी मेरी. मैं कभी तुम्हारे चेहरे पर शिकन तक नहीं आने दूंगी.
रितिका अब अपना हर सुख-दुख अपने बच्चे से बांटने लगी. उसकी आंखों में जब आंसू आते, तो उसे महसूस होता कि उसे कोई आवाज दे रहा हो-मां मत रोओ, जिस मैं दुनिया में आऊंगा, उस दिन अपनी हाथों से तुम्हारे आंसू पोछूंगा.

डॉक्टर के पास जब वह रेग्यूलर चेकअप के लिए जाती, तो उसे अमन की कमी बहुत खलती, क्योंकि वहां सारी औरतें अपने पति के साथ आतीं थीं, जो उन्हें सहारा देता और सहेजता रहता था. उनका प्यार देख रितिका की आंखें नम हो जाती, लेकिन फिर वह खुद को संभालती, उसे खुशी देने वाला उसके साथ है. धीरे-धीरे समय बितता गया, रितिका हमेशा अपने बच्चे की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहती और आखिरकार वह दिन आ गया, जब उसका अंश साकार स्वरूप में उसके सामने आने को बेचैन हो गया.

उसे उम्मीद थी कि अमन आयेगा, वह आया भी. लेकिन बच्चे के पिता की तरह नहीं, बल्कि उस व्यक्ति की तरह, जिसके साथ उसने डील की थी. जिसे सिर्फ यह जानना था कि डील साकार हुआ या नहीं. रात घिरते ही वह चला गया. दर्द से छटपटाती रितिका की आंखों ने उससे विनती की, मत जाओ. कम से कम उसका चेहरा तो देख लो, लेकिन अमन की आंखों में उसे अपने बच्चे को देखने की लालसा रितिका को दिखाई नहीं दी.... और वह चला गया.
रात लगभग 12 बजे कृष्ण कन्हैया की तरह रितिका का कान्हा अवतरित हुआ और जब उसकी आवाज रितिका के कानों में पड़ी, तो वह जार-जार रो पड़ी. उसके बच्चे को आशीर्वाद देने वालों की कमी नहीं थी, लेकिन उसका अपना पिता अभी तक नहीं आया था. सुबह से रितिका उसकी राह देख रही थी, लेकिन वह नहीं आया था. हालांकि सूचना उसे थी.

शाम को अमन आया, उसने कुछ देर तक बच्चे के सिर पर हाथ रखा. रितिका को लगा अब सबकुछ बदल जायेगा. बच्चे का चेहरा देख अमन उसे छोड़कर नहीं जायेगा. कमरे में दोनों अकेले थे, उसने अमन को पास बुलाया और कहा-यह बिलकुल तुम पर गया है. अमन ने हां में सिर हिलाया. रितिका ने कहा, खुशी नहीं हुई इसे देखकर, बहुत खुशी हुई, अमन ने कहा. फिर उसने कहा- चलो तुम्हारी चाहत पूरी हुई. अब तुम इसके साथ खुश रहो. मैं जा रहा हूं. रितिका ने अमन का हाथ पकड़ लिया. आज की रात तो मत जाओ. आज इसके जिंदगी का पहला दिन है, आज मत जाओ. अमन ने रितिका से अपना हाथ छुड़ाया और कहा, नहीं मुझे जाना होगा.

यह कहकर अमन ने रितिका के सिर पर हाथ फेरा और उठकर चला गया. उसके जाने के बाद रितिका फफक पड़ी. लेकिन तभी उसे अहसास हुआ कि उसने तो ममता के लिए डील की है, फिर रोना कैसा. रितिका ने अपने बच्चे को गोद में उठाया और खिलखिला उठी.

रजनीश आनंद
03-02-2016