मैं आपको पिछले काफी समय से एक कहानी बता रही थी. कहानी थी रितिका की. इसकी अगली किस्त लिखने में काफी विलंब हो गया है. इसलिए आपको स्मरण करा दूं कि रितिका एक ऐसी लड़की जिसे जीवन से बहुत प्रेम था. वह टूटकर अपनी जिंदगी को जीना चाहती थी.उसकी यह चाहत थी उसका जीवनसाथी ऐसा हो, जो उसे इस कदर मोहब्बत करे कि वह उसकी हर सांस में शामिल हो. प्रेम को लेकर उसकी सोच इतर थी. इसी सोच के कारण उसे प्रेम हुआ और उसने अमन से बेपनाह प्रेम भी किया. लेकिन अमन उसका वह साथी न बन सका जिसकी उसे चाहत थी. वह छली गयी. लेकिन उसे जीवन से शिकायत नहीं थी क्योंकि उसके पास उसके जीवन की एकमात्र उपलब्धि उसका बेटा था. अमन को लेकर उसने कोई दुर्भावना इसलिए नहीं पाली क्योंकि वह उसके बेटे का पिता था और कभी ना कभी रितिका ने उससे प्रेम किया था. लेकिन आज उनके रिश्तों में कोई स्पार्क नहीं है. अमन को देखकर ना तो रितिका का दिल धड़कता है ना कुछ महसूस होता है. अमन की जिंदगी में रितिका कभी मायने नहीं रखती थी और आज भी उसकी जिंदगी में रितिका के लिए कोई जगह नहीं थी. इन्हीं परिस्थितियों के बीच रितिका के जीवन में जैक आया. जैक एक ऐसा युवक जिसने रितिका को वह सबकुछ दिया, जिसके सपने कभी रितिका ने देखे थे. लेकिन उनदोनों का साथ इस जन्म में तो संभव नहीं था, इसलिए रितिका ने उसे जाने दिया. लेकिन कुछ दिनों में ही जैक ने रितिका को इतना प्यार दिया, जिसके सहारे वह अपनी पूरी जिंदगी काट सकती थी. वैसे भी उसके जीवन का एक ही लक्ष्य था अपने बेटे को एक अच्छा इंसान बनाना. इसी लक्ष्य को पूरा करते हुए रितिका आज 50 साल की हो गयी है और उसका बेटा एक अधिकारी. अब आगे पढ़िए:-
रितिका आज बहुत खुश है. आज उसका बेटा शशांक अपनी ट्रेनिंग पूरी करके लौट रहा है. उसके बेटे की ट्रेन दोपहर एक बजे आने वाली है. रितिका सुबह से ही उसकी पसंद के व्यंजन बनाने में व्यस्त है. उससे अब सब्र भी तो नहीं हो रहा है. पूरे एक साल बाद उसका बेटा आ रहा है. पूरे 24 साल का हो गया है वो. रितिका को आज ऐसा महूसस हो रहा है, जैसे उसका जीवन सफल हो गया. गली में आने वाली घर गाड़ी की आवाज सुबह से ही उसे ऐसा एहसास करा रही है, जैसे उसका बेटा आ गया. उसकी धड़कन सुबह से बढ़ी हुई है, पता नहीं एक साल में कैसा दिखने लगा होगा वो? हालांकि वो अकसर अपनी तसवीर भेजता रहता था, बावजूद इसके रितिका को संतोष नहीं हो रहा था.
रितिका ने बेटे के कमरे को अच्छे से साफ कर दिया था, आज रितिका को बेटे के बचपन की सारी बातें याद आ रहीं थीं, उसका चलना, उसका बोलना. उसका गाना सब. कैसे वह उसकी मन की बातों को समझ लेता था सब. वह जल्दी-जल्दी सारे काम निपटाना चाहती थी. तभी अचानक उसे लगा, जैसे उसका बेटा आ गया, वह भाग कर दरवाजे पर गयी. दस्तक से पहले उसने दरवाजा खोल दिया. मां बेटे की आहट पहचान लेती है, यह बात सच साबित हुई, सामने उसका मुस्कुराता बेटा खड़ा था, उसने जोर से चिल्लाया मां मैं आ गया और वह अपने सारे सामान फेंक कर उसके सीने से लग गया. रितिका के आंखों में आंसू थे लेकिन खुशी के. उसका बेटा बहुत खूबसूरत युवक था. वैसे भी एक मां की नजर में उसके बच्चे जैसा दुनिया में कोई नहीं होता है.
रितिका को उसके बेटे ने ट्रेनिंग के दौरान की सारी बातें बतायीं. दोनों बहुत खुश थे. खाने की मेज पर जब मां -बेटा पहुंचे तो खाने के साथ-साथ बेटे ने मां से एक सवाल किया. मां मैने बचपन से आज तक तुम्हारी हर बात मानी, आज तुम मेरी बात मानना. तुमने हमेशा कहा जब मैं बड़ा हो जाऊंगा तो तुम मुझे अपने और मेरे जीवन से जुड़ी कुछ बातें बिना सच छुपाए बताओगी. बताओगी ना मां. रितिका ने बेटे की ओर देखा, कई सवाल उसकी आंखों में तैर रहे थे. रितिका ने कहा, हां जरूर बताऊंगी. इसपर वह हंसा और कहा, दो बातें आपको बतानी है फिर एक बात मैं आपको बताऊंगा. उसकी बात सुन रितिका ने कहा, अच्छा क्या बात है बताओ तो. शशांक ने कहा, नहीं मां पहले तो आपको बताना होगा, मैं इतने साल से इंतजार कर रहा हूं, थोड़ा तुम भी इंतजार करो.
खाने के बाद रितिका और शशांक साथ थे. वह मां की गोद में सो गया और पूछा-हां मां अब बताओ, थोड़ा अपने जीवन का रिप्ले बटन दबाओ . बताओ तो मुझे जो इतने साल से तुम्हारे सीने में दफन है. बचपन से हमेशा शशांक ने रितिका से यह पूछा कि सभी बच्चे अपने मम्मी-पापा के साथ रहते हैं, तो मैं क्यों नहीं.क्यों पापा अपने घर और तुम अपने घर रहती हो. रितिका ने उसे कभी पूरी सच्चाई नहीं बतायी क्योंकि उसे भय था कि उसका बचपन खराब हो सकता है. ऐसा नहीं है कि रितिका और अमन के रिश्ते का प्रभाव शशांक के जीवन पर नहीं पड़ा, लेकिन रितिका ने भरसक कोशिश की कि वह खुश रहे. आज जब शशांक पूरा सच जानना चाहता था,
तो रितिका ने अपनी पूरी कहानी उसे बतायी. बताते-बताते आज फिर रितिका के आंसू छलक गये, जिसे पोंछते हुए शशांक ने कहा, मां तुम रो मत. रोने के दिन अब गये. हालांकि इतने सालों में मैं काफी कुछ समझ ही गया था. तुम्हारी हर पीड़ा को मैंने भी देखा है मां लेकिन मेरी मां तो जरा हट के है इसलिए वो रोयेगी नहीं.
अब दूसरी बात बताओ मां, जिसे बताने का तुमने वादा किया था. अपने आंसू पोंछ रितिका ने कहा, बेटा मैंने जो झेला उसे बताना बहुत आसान है, जीना बहुत मुश्किल. मैं भी एक इंसान हूं मेरे भी कुछ सपने होंगे, कुछ जरूरतें होंगी, जो पूरी नहीं हो पायी. तुम्हारे पिता ने मेरे साथ जो कुछ किया, उसके बाद जीना बहुत कठिन था मेरे लिए लेकिन उसी दौरान मेरे जीवन में जैक आया, उसने मुझे वो प्यार दिया, जिसकी चाहत मैंने तुम्हारे पिता से की थी. हां एक शादीशुदा होते मैंने उससे प्रेम किया और उससे एक पति का प्रेम पाया. भले ही उस प्यार की उम्र बहुत छोटी थी, लेकिन उसमें कहीं भी धोखा नहीं था. जैक मेरे जीवन से जुड़ा वह सच है, जिसपर मैं कभी शर्मिंदा ना थी ना हूं और ना कभी होंगी.
उसने मुझे जीवन को जीने की वजह दी. उसने मुझे बताया कि जिंदगी को जी लो, वरना वह तुम्हें जी जायेगी. उसकी बातें हमेशा मेरे लिए प्रेरणा रहीं और आज मैं तुम्हारे सामने खड़ी हूं. तुम्हें अगर लगता है कि मैंने गलत किया था, तो तुम मुझसे नफरत कर सकते हो, लेकिन उस इंसान ने तुम्हारे लिए भी बहुत प्रार्थनाएं की हैं. वह तुम्हें अपना बेटा मानता था. वह दिल से तुम्हें चाहता था. मुझे हमेशा यह यकीन रहा है शशांक की दुनिया चाहे जो भी कहे, मेरा बेटा मुझे समझेगा और हमेशा मेरे साथ खड़ा होगा. तुम्हारी मां और जैक का रिश्ता अद्भुत था, जिसमें प्रेम था समर्पण था, लेकिन स्वार्थ और झूठ कहीं नहीं था. मेरी तुमसे यह गुजारिश है कि जब मेरी अर्थी उठे तो तुम उस इंसान को जरूर बुला देना, ताकि तुम्हारी मां की आत्मा को पूर्णता का एहसास हो.
यह कहकर रितिका बेटे से लिपट गयी. आज एकबार फिर दोनों की धड़कनें एकसार हो गयीं. रितिका के आंखों में आंसू थे और शशांक भी रो पड़ा. उसने अपनी मां को कहा, मां तुम्हारा प्रेम गलत नहीं हो सकता, तुम्हारे जैक को मैं ढूंढकर लाऊंगा. तुम्हारे अंतिम संस्कार पर नहीं , तुम्हारे जीवित रहते, ताकि एकबार फिर तुम जी सको. मेरी मां कभी गलत नहीं हो सकती. शशांक की बातें सुन रितिका फफक पड़ी और बोली अच्छा बहुत बड़ा हो गया है तू अब जरा ये भी बता दे कि कौन सी बात मुझे बताने वाला था.
मां की बात सुन वह बोला-अरे मां कुछ नहीं मैं ट्रेनिंग में था ना, तो वहां मेरे साथ एक लड़की थी जो हमेशा मेरे पीछे पड़ी रहती थी, अब मैं घर आ गया हूं, तो कह रही थी कि मैं भी तुम्हारे घर आना चाहती हूं, वही मैं तुमसे पूछना चाह रहा था कि उसे घर बुलाऊं क्या? रितिका ने बेटे के कान को खिंचते हुए कहा-हां जरा बुला तो उसे देखती हूं कौन मेरे सीधे-साधे बेटे को परेशान कर रही थी. उसके घर वालों से शिकायत करनी होगी मुझे. मां की बात सुन शशांक हंस पड़ा और उसके साथ-साथ रितिका भी. उसे लगा जैसे उसके भगवान शिव ने उसके जीवन को खुशियों से भर दिया....
रजनीश आनंद
26-05-16