बुधवार, 23 दिसंबर 2015


...क्योंकि यह टेस्ट का मामला है!
आज ब्लॉग की दुनिया में यह मेरा पहला कदम है. कदम तो पहले ही रखना चाहती थी, लेकिन कुछ ‘एक्सक्लूसिव’ करने की चाह में हिम्मत नहीं कर पायी थी. पत्रकारों को ‘एक्सक्लूसिव’ करने की चाहत बहुत होती है और चाहत साली इतनी कुत्ती चीज होती है कि आपको हर तरह से बाध्य करके रख दे. खैर अब बाध्यता नहीं रही, मैंने अपनी चाहत पर लगाम कस ली है और आपके सामने हूं. भारतीय मिट्टी की उपज हूं, सो श्रीगणेशाय नम:, बिसमिल्लाह या फिर ‘इन द नेम अॅाफ गॉड’ कहकर शुरुआत करना चाहती हूं.
असहिष्णुता के इस दौर में मैं आपको बताना चाहती हूं कि मुझे हमेशा अपने घर के तौर-तरीकों से ज्यादा दूसरों की तहजीब भायी.
जन्म से हिंदू हूं इसलिए प्रणाम, नमस्ते कहकर अभिवादन करती आयी हूं. पैर छूना भी हमारी परंपरा का हिस्सा रहा है. लेकिन कहीं से ‘वालेकुम सलाम’ की आवाज सुनायी दे, तो मैं रोमांचित सी हो जाती हैं. यह मेरी निजी पसंद है. मेरी इस बात से हर कोई इत्तेफाक रखे, यह जरूरी नहीं है. लेकिन मैं यहां अपनी कहने आयी हूं, सो अपनी बात कह रही हूं.
हां एक बात और, यह एक औरत का ब्लॉग है इसलिए उसकी बातें तो यहां होंगी ही. उसकी पसंद, नापसंद, महत्वाकांक्षा, इच्छा, पीड़ा और सेक्स सबकी बातें मैं यहां करूंगी. अब देखना यह है कि मैं अपनी बातों को आपके सामने उस तरह रख पाती हूं या नहीं, जैसे की मैंने रखने का सोचा है. अगर मैं अपनी बातों को उस तरीके से नहीं रख पायी, तो जल्दी ही मैं आपको अलविदा भी कह दूंगी.

सधन्यवाद
रजनीश आनंद
23-12-2015

  

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब मेम। वाकई आपको काफी पहले ब्लॉग की दुनिया में कदम रखनी चाहिए थे। खेर देर आये दुरुस्त आये की कहानी यंहा चरितार्थ होगी। इसमें तनिक संदेह की गुंजाईश नही है।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. उत्साहवर्द्धन के लिए धन्यवाद राजेश जी. उम्मीद है अापका सहयोग मिलता रहेगा.

      हटाएं