मंगलवार, 29 दिसंबर 2015

ना जाने कौन था वो...

ना जानें कौन था वो...

ना जानें कौन था वो...
मेरी बेख्वाब आंखों 
को ख्वाब दे गया,
पहचान तो दूर
नाम भी ना जान सकी थी मैं,
कहा था, उसने
जीवन भर का होगा हमारा साथ,
फिर क्यों मुझे बिलखता छोड़ गया,
ना जानें कौन था वो...
कहा था, उसने
अनुपम है मेरा सौंदर्य,
उसकी बातों पर ठीक से
गुमान भी नहीं कर पायी थी
कि, वो मुझे अकेला छोड़ गया
ना जानें कौन था वो...
उसकी बातों से मुझे
हुआ था एहसास अपनी पूर्णता का
फिर , क्यों वो मुझे अधूरा छोड़ गया
ना जाने कौन था वो...

रजनीश आनंद
29-12-2015


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