शुक्रवार, 13 मार्च 2020

हम मुस्कुराने वाले...

जिंदगी प्रेमिका की उलझी लटें नहीं
जिसे आप सुलझाना चाहें मुस्कुरा कर
यह तो किसी वृद्धा के उलझे केश के गुच्छे हैं
जिसे सुलझाते हुए कई बार काटना भी पड़ता है
एक पीड़ा और भावुकता के साथ
जिंदगी वह काली स्लेट है, जिसपर नाम और ख्वाहिशें
आंसुओं के डस्टर से पोंछे जाने के बाद ही
स्पष्ट लिखी जा सकती हैं, ऐसा क्यों? 
यह पूछने का अधिकार नहीं हमें
सिर्फ हर घटित पर प्रतिक्रिया के अधिकारी हम
आंसुओं को पीकर, हम मुस्कुराने वाले... 

रजनीश आनंद

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