गूगल से साभार |
मैंने तो शिद्दत से मोहब्बत की थी,
हर पल देखा था तुझे,
आंखों में खूबसूरती भर कर,
फिर क्यों तूने,
कुरूपता का ऐसा मंजर दिखा दिया,
चाहा था क्या मैंने तुझसे,
यही ना कि हाथ थामकर,
दो पल मीठी बातें कर सकूं,
सिर रखकर तुम्हारे कांधे पर,
भविष्य के सपने बुन सकूं,
और तुम मेरे उलझे बालों को,
सुलझाते हुए मुझे प्यार की थपकी दो.
ना तो कोई अधिकार मांगा था
ना कर्तव्य गिनाएं थे, फिर क्यों?
जिंदगी तू इतनी, बेवफा हो गयी?
रजनीश आनंद
24-02-16
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