इंसान अंदर से खाली होता है
चीनी मिट्टी के मर्तबान की तरह
हाँ, कांच के मर्तबान कम ही होते हैं
जिससे होकर हर नजर गुजर जाये
तभी तो जाहिर नहीं होती लोगों की शख्सीयत
इंसान का खालीपन उसकी पूंजी है
जिसके भरोसे वह खेलता है दांव
वह पूंजी के साथ लौटा लाना चाहता है
कारोबार का मुनाफा भी, किंतु
इंसान यह नहीं जानता कि
जिस चीज़ को वह अपनी पूंजी मानता है
दरअसल वह जीवन का सबसे बड़ा दांव है
वो भ्रम है, जिसके होने की गलतफहमी में
इंसान पूरी जिंदगी मिटा देता है
लेकिन जब भी वो होता है अकेला
चीनी मिट्टी का मर्तबान उसे दिखाता है
अपने अंदर की रिक्तता, वह सिसकता है
आंसू से भर जाता है मर्तबान,
लेकिन कायम है सिसकती रिक्तता...
रजनीश आनंद
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