गुरुवार, 3 मार्च 2016

रितिका की खुशी

गूगल से साभार
आज पूरे एक महीने हो गये जैक को गये हुए. ऐसा एक दिन भी नहीं गया, जब उसने रितिका से बात ना की हो और उसका हाल ना जाना हो. ख्याल तो वह रितिका का इस कदर रखता था कि कभी-कभी रितिका को खुद पर गुमान भी हो जाता. उसे लगता क्या वो इतनी खास है, कई बार उसने खुद को आइने में निहार कर भी देखा, अपने इस कृत्य पर वह शरमा भी जाती.

जैक के अपनेपन ने उसके रोम-रोम को आनंदित कर दिया था. अमन ने उसके जीवन में जो रिक्तता उत्पन्न कर दी थी, उसे जैक ने ना सिर्फ भर दिया, बल्कि उसे यह भी महसूस कराया कि प्यार क्या होता है. जीवनसाथी किसे कहते हैं, कोई किस हद तक जाकर किसी को चाह सकता है. जैक ने रितिका को प्यार से इस कदर सराबोर कर दिया था कि उसे महसूस ही नहीं होता था कि वह उससे इतनी दूर है. रितिका ने क्या खाया और वह कब सोई से लेकर उसके बेटे को किस चीज की जरूरत है, हर बात का ध्यान वह रखता. जब जैक रितिका से उसके बेटे की जरूरतों के बारे में पूछता, तो उसे ऐसा लगता जैसे उसके बेटे में जैक का ही अंश हो, तभी तो वह उसकी इस कदर चिंता करता था.

इतनी चिंता तो कभी अमन ने उसके लिए नहीं दिखाई, जबकि वह उसका पिता था. जैक के प्यार में खोई रितिका अपने कमरे में आंखें बंद किये बैठी थी, तभी उसे किसी ने अपने आगोश में ले लिया. एक क्षण को तो उसे लगा, जैसे जैक आ गया, लेकिन अगले ही पल वह घबरा गयी. उसने आंखें खोली. सामने अमन खड़ा था. रितिका ने खुद को उससे अलग किया और कहा, तुम यहां कैसे? अमन ने रोमांटिक अंदाज में कहा, बस तुमसे मिलने की इच्छा हुई, तो चला आया. रितिका-क्यों इतने दिनों तक तुम्हें मुझसे मिलने की इच्छा नहीं हुई थी. अब बहुत याद आयी है मेरी. अमन-अरे क्या बताऊं, इच्छा तो बहुत हुई थी, लेकिन मजबूरी थी. मैं आज भी तुमसे बहुत प्यार करता हूं. यह कहकर अमन ने रितिका को अपनी बांहों में लेने की कोशिश की.

अमन की यह कोशिश रितिका को भायी नहीं, उसने खुद को उसकी पकड़ से दूर करने की कोशिश की. रितिका-हटो मुझे यह सब अच्छा नहीं लगता. लेकिन मुझे तो लगता है, अमन ने उसके करीब आकर कहा. रितिका -बेटा सामने खड़ा है, उसका ही लिहाज कर लो. अब बहुत छोटा नहीं रहा वो, सब समझता है. रितिका की इस बात पर अमन नाराज हो गया. उसने कहा, जब भी मैं पास आने की कोशिश करता हूं, तुम दूर जाना चाहती हूं. पहले हमेशा यही शिकायत रहती थी कि मैं तुम्हें समय नहीं देता, अब बताओ. तुम क्या कर रही हो.

अमन की यह बात रितिका को चुभ गयी. उसने पलटकर जवाब दिया. अच्छा, जब तुम्हारी इच्छा हो, पास आ जाओ और जब इच्छा ना हो, कोई मतलब नहीं. मैं इतने साल तुम्हारे आगे मिन्नतें करतीं रही, तब कहां थे तुम. अब इन चीजों में मेरी कोई रुचि नहीं. मैंने अपनी सारी इच्छाएं मार ली.

रितिका की बात सुन अमन उसके करीब आया, उसने प्यार से उसका हाथ थामा और कहा, देखो समय है. मैं मजबूर था. आज अगर हमारे पास एक-दूसरे के लिए समय है, तो क्यों ना उन पलों को जी लिया जाये. समय खराब करने से क्या फायदा.

अमन की यह बात रितिका को चुभ गयी, उसने बिफर कर कहा, आज तुम्हें समय की बहुत चिंता हो रही है. उस वक्त नहीं हुई थी, जब मैं तुम्हारे लिए तड़पती रहती थी, तब कहां थे तुम. आज जिस आग को शांत करने के लिए तुम मेरे पास आये हो, क्या उस आग में कभी मैं नहीं चली. क्या मेरी कुछ इच्छाएं नहीं थीं. लेकिन तुमने मेरी कोई चिंता नहीं की. आज क्यों तुम्हें मेरी इतनी फिक्र हो रही है? रितिका से इस तरह के जवाब की उम्मीद नहीं थी, अमन को , उसने तेवर में पूछा, क्या तुम्हें मेरी जरूरत नहीं या कोई और आ गया है, तुम्हारे जीवन में. रितिका-हां कोई और ही आ गया है, जो मुझसे प्यार करता है, तुम्हारी तरह नहीं है.

रितिका के जवाब पर अमन ने खींचकर उसे एक तमाचा रसीद दिया. अपने मां-बाप को इस तरह लड़ता देख रितिका का बेटा भागकर दूसरे कमरे में गया और घर के लोगों को बुला लाया. कमरे में आकर रितिका की मां ने दोनों से कहा, कुछ और नहीं कर सकते, तो कम से कम बच्चे का ही ख्याल करो. तुम दोनों ने अपनी मरजी से शादी की थी, हमने नहीं रोका. अमन तुम हमारी बेटी को छोड़ गये तब भी इसने कुछ करने नहीं दिया. तो अब क्यों झगड़ रहे हो, यह जिंदगी तुम्हारी चुनी हुई है. कुछ तो अपने अंश का ख्याल करो. इतना कहकर रितिका की मां कमरे से चली गयी.

बेटे को खेलने के लिए बाहर भेजकर अमन ने रितिका से सुलह करने की कोशिश की. वह रितिका के करीब आया और प्यार से समझाने की कोशिश की. लेकिन रितिका उसके इरादों को जानती थी, वह जानती थी कि वह क्यों उसके पास आना चाहता है. इसलिए उसने उससे साफ कहा, मुझे यह सब अच्छा नहीं लगता, तुम मुझे परेशान मत करो. जब रितिका ने अमन को अपने करीब नहीं आने दिया, तो वह नाराज होकर यह कहते हुए चला गया कि तुम्हारे नखरे बहुत बढ़ गये हैं.

आज अमन के जाने पर रितिका रोई तो जरूर, लेकिन इसलिए नहीं कि अमन चला गया, बल्कि वह खुश होकर रोई. उसे इस बात का डर था कि अमन उसके साथ जबरदस्ती कर सकता है. लेकिन उसने अमन को ऐसा करने नहीं दिया. वह इस बात से खुश थी. उसने जैक के प्यार को बचा लिया था. उसके स्पर्श को मिटने नहीं दिया था. यह उसके लिए बहुत बड़ी खुशी थी....

रजनीश आनंद
03-03-2016

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