रात की खामोशी में
प्रेम से उस क्षण
साक्षात्कार होता है
जब पुकारते हो तुम
लेकर प्यार वाला नाम
भींग जाती हूं मैं तुममें
जैसे जमीन ओस से
हर सुबह घर के बागीचे से
सहेजती हूं बिखरे ओस
उस पल की याद में
जब सीने में तुम्हारी
दुबकी थी मैं और
प्रेम मुखरित था...
रजनीश आनंद
04-12-17
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