मंगलवार, 6 अगस्त 2019

#SushmaSwaraj : भारतीय राजनीति की ओजस्वी वक्ता, जिनके सामने भाषण देने में आडवाणी भी घबराते थे...



भारतीय राजनीति की ओजस्वी वक्ता और भाजपा की दिग्गज नेता सुषमा स्वराज का मंगलवार देर रात निधन हो गया. उन्हें हृदयाघात होने के बाद एम्स में भरती कराया गया था जहां उनकी मौत हो गयी. आज दिल्ली के लोधी स्थित शवदाह गृह में उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा. इससे पहले अंतिम दर्शन के लिए सुबह 11 बजे से उनके आवास पर और फिर 12 बजे से भाजपा मुख्यालय में उनके पार्थिव शरीर को रखा जायेगा. पीएम मोदी ने उनके निधन पर ट्‌वीट करके कहा, यह मेरे लिए निजी क्षति है.

जब आडवाणी ने कहा था अब मैं क्या बोलूंगा
सुषमा स्वराज की पहचान एक तेजस्वी वक्ता के रूप में थी. एक बार भाजपा के एक कार्यक्रम में जब मंच पर लालकृष्ण आडवाणी को सुषमा स्वराज से पहले भाषण देने के लिए बुलाया गया था, तो उन्होंने कहा था, आपलोगों ने अच्छा किया कि मुझे पहले बुला लिया, वरना सुषमा के बाद मुझे बुलाते तो मुझे कौन सुनता. उन्होंने उस वक्त यह भी कहा था कि अक्सर मुझे वाजपेयी जी के बोलने के बाद मौका दिया जाता था, तब भी मैं यह कहता था कि मुझे पहले बोलने दे दीजिए, अन्यथा मुझे उनके बाद कौन सुनेगा.

विदेश मंत्री के रूप में बनायी अनोखी पहचान
सुषमा स्वराज नरेंद्र मोदी सरकार में विदेश मंत्री रहीं और अपने कार्यों से अनूठी पहचान बनायी. उन्होंने जहां कूटनीतिक निर्णयों से देश की छवि स्थापित की वहीं एक ट्‌वीट में देशवासियों को मदद पहु़ंचाकर मिसाल कायम की. उन्होंने विदेश में फंसे कई लोगों को अपने व्यक्तिगत पहल से वापस लाया और सबके लिए ममतामयी मां की तरह बन गयीं.

सात बार सांसद और तीन बार विधायक रहीं थीं सुषमा स्वराज
14 फरवरी 1952 को हरियाणा के अंबाला शहर में जन्मीं सुषमा स्वराज सात बार सांसद और 3 बार विधायक रही थीं. 1977 में जब वह 25 साल की थीं तब वह भारत की सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री बनी थीं. 1998 में वह दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी थीं. पेशे से वकील सुषमा स्वराज ने अंबाला के एसडी कॉलेज और पंजाव विश्वविद्यालय के कानून विभाग से पढ़ाई की थी. अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत इन्होंने 1970 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की थी. वह 1977 में अंबाला छावनी विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में चुनाव जीती थीं और  चौधरी देवी लाल की सरकार में श्रम मंत्री बनीं थीं और 25 साल की उम्र में कैबिनेट मंत्री बनने का रिकॉर्ड बनाया था.  1990 में सुषमा स्वराज राज्यसभा की सदस्य चुनी गईं और 1996 में लोकसभा चुनावों में वे दक्षिण दिल्ली से 11वीं लोकसभा के लिए सांसद चुनी गयीं. सुषमा स्वराज को 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वे सूचना और प्रसारण मंत्री बनी थीं. सन 1998 में सुषमा स्वराज 12वीं लोकसभा के लिए दोबारा दक्षिणी दिल्ली से चुनी गईं। 2014 में 16वीं लोकसभा में सुषमा स्वराज विदिशा से जीतकर आयीं थीं.

पारंपरिक रस्मों को भी निभाती थीं
सुषमा स्वराज ने अपने पुराने साथी और सुप्रीम कोर्ट के वकील स्वराज कौशल से 1975 में साथी की थी, उनकी एक बेटी है, बांसुरी. सुषमा स्वराज चाहे जिस भी पद पर रहीं वो वे पारंपरिक तरीके से करवा चौथ मनाना नहीं भूलती थीं. इस मौके पर मीडिया में उनकी कई तसवीरें भी आती थीं, जिसमें वे हाथों में मेहंदी, माथे पर बड़ी सी लाल बिंदी और मांग में सिंदूर लगाकर चुनरी ओढ़कर पूजा करती थीं.

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