शनिवार, 19 मार्च 2016

ना जानें क्यों आज...

गूगल से साभार
ना जानें क्यों आज
मुझ से मेरा मन
पूछ रहा है, यह सवाल
कौन हो तुम मेरे?
क्यों तुम्हारा नाम सुन
खिल जाती हूं मैं
भर जाते हैं रंग जीवन में
महसूस होता है
खुशनसीब हूं मैं,
चाह होती है थामकर
हाथ तुम्हारा चलूं मैं
जीवनपथ पर
ताकि
कभी जो हो सामना
दुखों से तुम
चूम कर मस्तक मेरा
कहो,
प्रिये मैं हूं
जब आये जीवन में कोई तूफान
तुम थामकर मुझे
निकाल लाओ उस बवंडर से
जीवनपथ पर सांध्यबेला में
तुम थकान मिटाओ
मेरी, मैं तुम्हारी
कोई शिकायत ना हो
जीवन से बस हो
इतनी सी गुजारिश
जब बंद हो
धड़कना दिल मेरा
तुम थामे रहना
हाथ मेरा
चूम कर मुझे
बस इतना कहना
अलविदा प्रिये, अलविदा प्रिये
रजनीश आनंद
19-03-16

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