रविवार, 24 अप्रैल 2016

प्रिये क्या आज नहीं बोलोगे?

तसवीर गूगल से साभार
प्रिये क्या आज तुमने
ना बोलने की कसम खाई है
कब से मैं तुम्हारे सामने प्रेम निवेदन कर रही हूं
मीठी बातें कर रही  हूं लेकिन तुम चुप हो
आज तो सोचा था तुम्हारा सिर अपनी गोद में
रखकर तुम्हारे बालों को सहलाते हुए तुम संग बातें करूंगी
जब बढ़ेगी प्रेम की अधीरता तो समा जाऊंगी बाहों में तुम्हारे
ताकि एक हो जायें हम
लेकिन ना जाने क्यों आज तुमने ना बोलने की कसम खाई है
शायद तड़पाना चाहते हो मुझे
लेना चाहते हो मेरे धैर्य की परीक्षा
लेकिन जानते हो प्रिये
अधीर नहीं है मेरा प्रेम
तुम जीवन भर ना भी बोलो
तो भी कम ना होगा मेरा प्रेम
जब मीरा ने आजीवन किया एक बुत से प्रेम
तो क्या मैं नहीं कर सकती एक जीते जागते इंसान से प्रेम
बोलो ना प्रिये, एक बार तो बोल दो.
रजनीश आनंद
24-04-16

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें