शनिवार, 9 अप्रैल 2016

...कौन हूं मैं ?

तसवीर गूगल से साभार
अपने डेढ़ साल के बच्चे को सीने से चिपकाए रितिका थर-थर कांप रही थी. उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह करे तो क्या करे. उसके सामने अमन बेसुध पड़ा था. जब बेहोशी की हालत में रितिका और उसके घर वाले अमन को लेकर पास के अस्पताल आये थे, तो डॉक्टर ने बताया था कि जॉडिंस काफी बढ़ गया है, लेकिन कुछ ही देर में अमन बेहोश हो गया, फिर तो डॉक्टर ने हाथ खड़े कर दिये थे. उसे शहर के सबसे प्रतिष्ठित अस्पताल के लिए रेफर कर दिया था. जल्दी में स्ट्रेचर पर अमन को लिटाने के लिए जब चादर नहीं मिला तो रितिका से उसका दुपट्टा मांगा गया, दुपट्टे को देते वक्त रितिका कांप उठी थी, उसे लगा जैसे सबकुछ खत्म हो रहा है. रात के 12 बजे उसने अपने बेटे को मां के हाथ में सौंपा और अमन के साथ एंबुलेंस में बैठ गयी. साथ में उसकी बहन भी थी. डॉक्टर ने कहा था, पेसेंट कोमा में जा रहा है, स्थिति के बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है. अॅाक्सीजन मास्क अमन के चेहरे पर लगा था. वह बार-बार जम्हाई ले रहा था. लेकिन बेसुध. 

डाक्टर कहते हैं जब शरीर में आक्सीजन घटता है,तो बार-बार जम्हाई आती है. अस्पताल शहर से दूर था, सड़कें सूनी और भयावह लग रही थी. केवल एंबुलेस के सायरन की आवाज और अमन की आती-जाती सांस. रितिका एकटक अमन को देख रही थी. जिंदगी के हाथ से छूटने का अहसास उसे हो रहा था. अस्पताल की गेट देख रितिका को आस बंधी, एंबुलेंस देख अस्पताल के कर्मचारी दौड़े अफरा-तफरी में इमरजेंसी वार्ड में अमन को ले जाया गया. रितिका अपने घरवालों के साथ बाहर बैठी थी. अमन को आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया था. उसका भाई अस्पताल के काम निपटा रहा था. रात कब बीती किसी को पता नहीं चला. सुबह जब डॉक्टर आये, तो उन्होंने बताया स्थिति बहुत खराब है अभी कुछ भी बताना मुश्किल है.

इंसान के वश में जब कुछ नहीं होता, तो वह भगवान के भरोसे हो जाता है. रितिका की स्थिति कुछ ऐसी ही थी. अमन के घरवालों में से कोई भी अस्पताल नहीं आया था. रितिका को डॉक्टर ने कहा कि खून की जरूरत होगी, इसलिए कोई आकर खून दे दें. वह खून देने के लिए चली गयी, उसके शरीर से एक यूनिट ब्लड निकाला गया. वह खून देकर अपने एक हाथ से दूसरे हाथ के नस को रूई से दबाते निकली तो उसने देखा एक आदमी और औरत उसके भाई को कुछ समझाने का प्रयास कर रहे हैं. अनिष्ट की आशंका से ग्रस्त रितिका भागते हुए वहां पहुंची और जानने का प्रयास किया कि मामला क्या है. कौन हैं वे दोनों? उनकी बातों से रितिका को यह महसूस हुआ कि वे दोनों अमन की पहली पत्नी के रिश्तेदार हैं. भाई को ज्यादा कुछ पता न चले यह सोच रितिका ने उन दोनों लोगों को अपने साथ कर लिया और भाई से कहा, तुम देखो कुछ अस्पताल के बिल के बारे में.   

भाई के वहां से जाने के बाद रितिका ने उन दोनों पर ध्यान दिया. ग्रामीण परिवेश के थे दोनों. स्थूलकाय आदमी और दुबली-पतली सी महिला. रितिका ने पूछा आपलोग कौन हैं. आदमी ने कहा मैं साला हूं इसका. रितिका ने कहा, अच्छा. लेकिन रितिका अमन की पहली पत्नी के भाई को जानती थी, इसलिए उनके बारे में विस्तार से जानने के लिए उसने पूछा आपलोग कहां से आये हैं? उसे लगा कि वह अमन की पहली पत्नी के घर का जिक्र करेंगे, लेकिन उस स्थूलकाय आदमी ने कहीं और का जिक्र किया. रितिका की जिज्ञासा कुछ और बढ़ी, उसने पूछा मैं समझ नहीं पायी आप लोग कौन हैं और कहां से आये हैं. रितिका के सवाल पर उस आदमी ने आईसीयू की तरफ इशारा करते हुए कहा, अंदर जो एडमिट है ना वो मेरी बहन का पति है. रितिका भक्‌ रह गयी... उसने कांपती आवाज में पूछा, आपकी बहन का नाम क्या है, उस आदमी ने जवाब दिया-प्रमिला. रितिका के पांव तले जमीन खिसक गयी. वह कुछ कह पाती इससे पहले उस आदमी ने उससे पूछा-आप कौन हैं? रितिका के कानों में यह सवाल गूंज उठा. लेकिन वह क्या जवाब देती... कौन है वह? उन दोनों को वहीं छोड़ इस सवाल के साथ वह अस्पताल की सीढ़ियां उतरने लगी. उसे लगा जैसे किसी ने उसके शरीर का सारा रक्त निचोड़ लिया हो. उसे कुछ दिखाई नहीं पड़ रहा था. कौन हूं मैं? उसने खुद से यह सवाल किया? क्यों रात से यहां पागलों की तरह खड़ी हूं? तभी सामने से उसका भाई आया और कहा, रितिका अस्पताल वाले पैसा जमा करने को कह रहे हैं एटीएम है तुम्हारे पास.

रितिका को समझ नहीं आया कि वह क्या करे. क्या वह अमन को मरणासन्न छोड़ सकती है. नहीं-नहीं. उस आदमी ने चाहे जो भी कहा हो, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकती. इंसानियत भी कोई चीज होती है और अमन, उससे तो मैंने प्यार किया है. उसे कैसे ऐसे छोड़ दूं. रितिका के भाई ने उसे जोर से हिलाया, कुछ बोलती क्यों नहीं एटीएम है तुम्हारे पास? हां, रितिका को लगा जैसे किसी ने उसके मुंह पर जोर से पानी मारा हो और वह  होश में आ गयी हो. उसने बैग से एटीएम निकाल कर भाई को दे दिया.

उसे लगा अगर मैं अभी भाई को यह बता दूं कि उस स्थूलकाय आदमी ने मुझसे क्या कहा है , तो वह अभी मुझे यहां से लेकर चला जायेगा. रितिका ने एक बार फिर अपने दुख को दबा लिया. उसे जाहिर नहीं होने दिया. वह सीढ़ी से नीचे उतरकर अस्पताल के खाली पड़े बेंच पर बैठ गयी. तभी उसके भाई ने उससे कैंटीन चलने की जिद की. रितिका ने कुछ खाया पीया नहीं था. कैंटीन में रितिका ने रोटी का पहला निवाला तोड़ा ही था कि उसका फोन बज उठा. उसने फोन उठाया. अस्पताल से फोन था, उधर से कहा गया अविलंब डॉक्टर से मिलें. रितिका ने खाना छोड़ दिया. वह भाई के साथ अस्पताल के अंदर भागी. डॉक्टर के पास पहुंचने पर उसने कहा, पेसेंट की स्थिति बहुत खराब है. दोनों किडनी काम नहीं कर रहा है. अभी तुरंत डायलिसिस शुरू करना होगा, वरना पेसेंट सरवाइव नहीं कर पायेगा. इंफेक्शन काफी बढ़ गया है. रितिका इतनी नासमझ ना थी कि डायलिसिस की स्थिति को ना समझ पाये. उसने डॉक्टर से पूछा, क्या कोई और उम्मीद नहीं है? डॉक्टर ने ना में सिर हिला दिया और एक कागज उसकी तरफ बढ़ा दिया. जल्दी सोचिए और इसपर साइन करके दे दीजिए, डॉक्टर ने कहा. कागज को हाथ में लेकर रितिका डॉक्टर के कमरे से बाहर आ गयी. उसके परिवार वाले इंतजार कर रहे थे, क्या कहा डॉक्टर ने भाई ने पूछा. रितिका ने बताया‘डायलिसिस करने को कह रहे हैं. क्या करूं? भाई ने कहा, उसके घर फोन करो और सब बता दो. रितिका ने अमन की मां को फोन किया. फोन किसी महिला ने उठाया और अपना परिचय उसकी पत्नी के रूप में दिया. लेकिन रितिका ने उसकी बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया और कहा, मां को फोन दो. रितिका ने अमन की मां को सारी स्थिति बतायी. लेकिन उसकी मां उससे बात नहीं करना चाह रहीं थी और इतना ही कहा, उतने अस्पताल में क्यों लेकर गयी और उन्होंने फोन काट दिया.

अब रितिका को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे, वह सोच रही थी कितने डायलिसिस होंगे. उसके बाद क्या होगा. तभी उसका बेटा आकर उससे लिपट गया. उसने एक नजर बेटे को देखा. सोचा कैसी है इसकी कीमत बस इतने ही दिन के लिए इसकी किस्मत में पिता था. उसकी आंखें भर आयीं, उसने उसे गोद में उठाकर कलेजे से लगा लिया. उसकी रुलाई फूट पड़ी. फिर अचानक बेटे को गोद से उतरा और डॉक्टर के कमरे में गयी. उसने कागज पर लिख कर दे दिया कि डायलिसिस शुरू किया जाये. डॉक्टर ने उसके हाथ से कागज लिया और आगे की प्रक्रिया में जुट गये. लेकिन अमन जिसे उस वक्त तक थोड़ा होश आ गया था, उसने डायलिसिस कराने से मना कर दिया. वह डॉक्टरों से झगड़ने लगा, जिसके कारण डॉक्टर डायलिसिस की प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाये. वह सिर्फ यही कह रहा था कि मैं डायलिसिस नहीं कराऊंगा.

अमन की जिद के बाद रितिका के भाई ने डॉक्टर से पूछा-आगे क्या किया जा सकता है. डॉक्टर ने कहा कुछ दिन अस्पताल में रहने दीजिए हम दवाई का प्रयोग करते हैं. उसके बाद आप घर ले जा सकते हैं. डॉक्टरों के इस रवैये से रितिका हैरान थी, लेकिन इंसान मजबूर हो जाता है. वह कुछ कर नहीं सकता. कुछ दिनों के इलाज के बाद अमन कुछ ठीक हो गया और घर जाने की जिद करने लगा. रितिका ने उसके डिस्चार्ज तक खूब दौड़-भाग की. पूरे दिन प्रयास करती रही कि उसे कोई कष्ट ना हो. अस्पताल से बाहर जाने के लिए जब अमन अपने पैरों पर खड़ा हुआ, तो खुशी से उसके आंसू निकल गये. व्हील चेयर लेकर आने वाले व्यक्ति ने कहा, याद है बेटी किस हालत में लेकर आयी थी इसे, अब खुश होकर जाओ, रो क्यों रही हो. उस आदमी की बातें रितिका के दिल को छू गयी. 

वह अमन के साथ अस्पताल के बाहर तक तो आयी, लेकिन वह जानती थी कि अमन उसे साथ चलने की अनुमति नहीं देगा. उसने कार में अमन को बिठाया, तभी उसे साथ लेकर जाने के लिए वह दोनों आ गये, जिसने रितिका के दिमाग में हलचल मचा दी थी. रितिका ने देखा वह स्थूलकाय व्यक्ति अमन की एक ओर और उसकी पत्नी उसके दूसरी ओर बैठ गये. रितिका के लिए तो कोई जगह नहीं थी. रितिका ने अमन का हाथ पकड़ना चाहा, लेकिन उस औरत ने उसका हाथ झटक दिया. अमन ने उससे सिर्फ इतना ही कहा, बाद में बात करता हूं तुमसे और ड्राइवर ने कार चला दी. रितिका बेचैन हो गयी, उसके आंसू थम ही नहीं रहे थे. उसके भाई ने उसे सहारा दिया और वह उससे लिपट कर जोर-जोर से रोने लगी. उसके दिमाग में उस स्थूलकाय व्यक्ति का सवाल गूंज रहा था-आप कौन हैं? और वह और बिलख-बिलख कर रो रही थी.... 

रजनीश आनंद
09-04-16


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