शनिवार, 9 सितंबर 2017

हंसी तुम्हारी सुंदर रंग...

चांदनी रात में
दूर पहाड़ी पर
अकेले बैठ तुम
बुनते हो सपना
भविष्य का मीठा
देखा मैंने आकाश
चादर को सजे
गुलाब, गेंदा,पलाश से
चमकीले मानों ऐसे
जैसे ध्रवतारा.
लेकिन मैं खिंचना
चाहती हूं खाका
हमारे भविष्य का
अहा! बताऊं प्रिये कैसे?
तुम्हारी पीठ होगी कैनवास
हंसी तुम्हारी सुंदर रंग
बातें तुम्हारी बनेंगी ' स्पार्कल'
मेरे होंठ बनेगे इंतज़ार
देखो ना प्रिये ,पीठ पर
तुम्हारे उतर आया है
चांदनी रात का आकाश...
रजनीश आनंद
09-14-17

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