बुधवार, 27 सितंबर 2017

क्योंकि जरूरी है छूटना भी...

जब कुछ छूटता है
तो दर्द होता है क्योंंकि
हम बना चुके होते हैं
उस छूटते से एक रिश्ता
रिश्ते की डोर को थामने की चाह
कई बार बलवती भी होती है
जैसे बाढ़ में सामने से बहकर
जा रहा हो अपने घर का
कुछ खास सामान हाथ ना आये
छूटने का दर्द इतना मानो
जिंदा शरीर से काटा जा रहा हो
मांस का लोथड़ा.
फिर रिसता है दर्द
बहता है खून आंखों से
लेकिन रूको, जरा सोचो
कितना जरूरी था ,
मांस का वह लोथड़ा?
क्योंकि कई बार छूटना भी
जरूरी होता है जीवन में...

रजनीश आनंद
27-09-18

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