शुक्रवार, 14 जुलाई 2017

चांद का स्पर्श

जानते हो तुम
हर चांदनी रात में
मैंने धरती को
सिमटते देखा
ज्यों ज्यों पसरा चांद
उसके बदन पर
चांद का स्पर्श
तो नहींं था
नसीब में उसके
फिर भी वो
तन-मन से
उसकी हो ली थी...
रजनीश आनंद
14-07-17

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