शनिवार, 15 जुलाई 2017

तुम्हारी आंंखें जैसे...

तुम्हारी आंखें जैसे
मां के हाथों का निवाला
तुम्हारी हंसी जैसे
खुशी का पैमाना
तुम्हारी बातें जैसे
झरने का मीठा जल
तुम्हारी फटकार जैसे
नारियल का खोल
तुम्हारा साथ जैसे
मजबूत चट्टान
तुम्हारे सपने जैसे
मोर का पंख
तुम्हारी मुस्कान जैसे
सतरंगी तितली
छूना चाहती हूं
तभी तो तुम्हारे
रसीले होंठों को
ताकि महसूस हो
तुम्हारा वजूद और
अनमोल प्रेम...
रजनीश आनंद
15-07-17

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