मंगलवार, 18 जुलाई 2017

हे कृष्ण न्याय करो...

हे कृष्ण कहां हो तुम?
देखो तो यहां रोज लुट रहीं
तुम्हारी सखियां, एक नहीं
कई द्रौपदी हैं, जिनकी चीख
गूंजती है धरती से अंतरिक्ष तक
क्यों नहीं सुनते तुम
क्या इन सखियों की पुकार
नहीं दहलाती तुम्हारा दिल
देखो तो यहां कई शिशुपाल हैं
जिन्होंने सौ क्या हजारों गलतियां की
फिर क्यों नहीं चल रहा तुम्हारा सुदर्शन
क्या अब तुमने गलतियों की सीमारेखा
लोगोंं के अश्रु से धो दी है
हे कर्मयोगी!!!
सुनो अधीर ना करो मुझे
देखो राजनीति के मैदान पर
कई-कई शकुनि और दुर्योधन
बांधने को बेचैन हैं
राजनीति की शुचिता को
आकर देते नहीं क्यों इन्हें चेतावनी
क्या द्वारकापति सच में
निर्मोही है, अगर हां तो
तो हे न्याय के रक्षक न्याय करो
बच्चों को भोजन दो
सखियों को सम्मान
गोमाता के नाम पर
क्यों छीन रहे लोग
मानव प्राण हैं
देखो ,कान्हा तो अब भी बसता है
इस देश के हर घर में
हर बच्चे की चंचलता में
यशोदा मैया की लोरी में
लेकिन रास रचाने वाला कान्हा
खो गया, एसिड अटैक की धुंध में
नहीं दिखता कर्मयोगी कृष्ण का
चमत्कारिक रूप, लेकिन
भरोसा है मुझे
नहीं टूटने दोगे तुम
मेरा यह विश्वास कि
कर्मयोगी कृष्ण हमेशा न्याय करते हैं...
रजनीश आनंद
18-07-17

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