सोमवार, 21 अगस्त 2017

एक मां के सवाल?

सिर्फ 50 रुपये, हां,इतनी ही तो कीमत
लगायी थी इन्होंने,मेरे जान के प्राण की
लेकिन हम गरीब ना जुटा पाये रुपये पचास
बस, बेदर्दी से उजाड़ दी गयी मेरी गोद
अरे! पूरे नौ माह कोख में संजोया जिसे
छाती चूसा जिसे थी पाल रही
प्रसव की अथाह पीड़ा का परिणाम जो
उसके जान की कीमत सिर्फ पचास रुपये?
बड़े प्यार से नाम धरा था मैंने कान्हा का
एक वर्ष से जप रही थी यह नाम, श्याम
गरीब माता-पिता के होंठों की मुस्कान था वो
पर काल को सही नहींं गयी खुशी हमारी
धकेल दिया उसे छत से और फिर,
गिरा जो श्याम मेरा, उठ ना सका
अस्पताल के चक्कर काटे हमने
हर किसी से मिन्नतें की, लेकिन मदद को
नहीं आया कोई, निर्दयी दुनिया!!
गरीब के जान की कीमत महज पचास रूपये?
बिना इलाज मर गया लाल मेरा
छोड़ आंचल मेरा, वह चला गया
उस लोक जहां लोग तारे बन जाते हैं
सुबह से कर रही इंतजार कि
एक तारा टूट गिरेगा मेरे आंचल में
और हो जायेगी पूरी मनोकामना
वह खिलखिलायेगा मेरे आंचल में
लेकिन उसका नाजुक देह तो शिथिल हो गया है?
आह! उजड़ गयी मेरी गोद
लेकिन क्यों? इस अपराध के दोषियों जवाब दो
नाभि नाल का रिश्ता ,यूं ही नहींं मिट जाता
जवाब दो संवेदना शून्य लोगों
क्या मात्र पचास रुपये ही थी मेरे लाल की कीमत?
फिर क्यों भला उसे बांहों में भरते ही
भान होता था मुझे, जैसे मेरे बांहों मे सिमटी हो दुनिया

रजनीश आनंद
21-07-2017


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