बुधवार, 2 अगस्त 2017

मृदुल स्पर्श

सुंदर, मृदुल स्पर्श
प्रियतम तुम्हारा
बेचैन तन मन
कांपते अधर
मूंदती पलकें
सांसों का थमना
लालिमा गालों पर
मादक आह, होठों पर
सब एकसाथ कहते हैं
मुझे तुमसे प्रेम है
प्रेम का यह अपनत्व
हर पल देता है तुम्हें
डाक, बस बहुत हुआ
अब तो आ जाओ...
रजनीश आनंद
02-08-17

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