मंगलवार, 29 अगस्त 2017

मानवद्रोही क्यों हुई प्रकृति

मैंने तो झेला नहीं
सिर्फ तसवीरों में देखा
क्यों कर पानी-पानी
धरती हुई जाती है
बेचैन मन ने पूछा
प्रकृति से एक सवाल
नदियाँ उफान पर
मानवद्रोही क्यों हुई जाती हैं?
सबकुछ समेट लेने को आतुर
जिंदगी, खेत,रिश्ते अपनापन
सबकुछ विसर्जित
इस जल आतंक में
कातिल नदियां
बच्चों को लील लेने के फिराक में
पर गंगा तो मैया है!
बच्चों से अपराध जरूर हुआ
तभी बिफरी है वो दंड देने को
नेता करते सिर्फ हवाई सर्वेक्षण
समस्या के मूल तक क्यों कर जा पायेंगे?
तो क्या हर वर्ष कोशी
लोगों को कोसों पलायन करवायेगी?
रजनीश आनंद
29-08-17

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