मंगलवार, 22 अगस्त 2017

जिंदगी की जद्दोहद

जिंंदगी की रसोई में
कुछ स्वादिष्ट बनाने की
जद्दोहद में जुटा इंसान
हर पल, हर क्षण
किंतु कई बार
जो कुछ कढ़ाही में
बहुत स्वादिष्ट, सुस्वादु
मालूम होता है
असल में होता है
कड़ुआ, कसैला
पसोपेश में इंसानियत
कसैलेपन के साथ
क्या भविष्य होगा
इस व्यंजन का?
कसैली चीज मीठी
नहीं होती, लाख शक्कर डाल दो
एकतरफा कोशिश
बेकार ही जाती है
एकतरफा प्रेम की तरह
कुशल रसोइया वाकिफ है
इस सच से, तभी तो
कसैले व्यंजन को वह
परोसता नहीं, फेंक देता है
और जुट जाता है
एक बार फिर कुछ
स्वादिष्ट बनाने की चाह में
निश्चय ही इस बार
कुछ ऐसा बनेगा,जिसका
स्वाद घुल जायेगा
मुख में हमेशा-हमेशा के लिए
क्योंकि जिंंदगी बिखेरती है,
तो समेटती भी है...

रजनीश आनंद
22-08-17

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