रविवार, 1 अक्तूबर 2017

उम्मीदों का टूटना...

क्या तुम्हें मालूम है
कैसा होता है,
उम्मीदों का टूटना
क्या महज आंसू बहते हैं?
या दरक जाता है
दो दिलों का रिश्ता.
मैंने तो यह पाया
जब टूटती है उम्मीद
तो रिक्त जरूर होता है इंसान
लेकिन बे उम्मीद वह
एक कदम बढ़ जाता है
इंसान होने की तरफ
तो टूटे जब उम्मीद किसी से
तो जश्न मनाओ आंसुओं का
क्योंकि आज के दौर में
आंसू किसी के लिए बह निकले
ऐसे संबंध अब बनते कहां हैं?

रजनीश आनंद
01-10-17

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