गुरुवार, 5 मई 2016

पुरुषवादी सोच का क्रूर चेहरा

यह दुनिया पुरुषवादी सोच के साथ चल रही है इस बात से हम सभी वाकिफ हैं. कमोबेश महिलाएं इस सोच के साथ जीने को राजी भी हैं. लेकिन दुख तब होता है यह जब इस सोच के सहारे महिलाओं को कदम-कदम पर अपमानित किया जाता है. ताजा मामला उत्तर प्रदेश का है, जहां एक सांसद साक्षी महाराज ने भरी सभा में एक लड़की की जींस उतरवाई और उसके जख्मों का मुआयना किया. दुख तो इस बात है कि वहां उपस्थित महिलाएं भी इस कृत्य को रोकने की बजाय उसके समर्थन में खड़ीं थीं. एक महिला के देह का इस तरह प्रदर्शन कहां तक उचित है. क्या एक पुरुष को भरी सभा में कपड़े उतराने के लिए इस देश में मजबूर किया जा सकता है. उस लड़की के साथ जो अन्याय हुआ हो, उसके जो जख्म उसके शरीर पर होंगे उससे ज्यादा बड़ा जख्म साक्षी महाराज का यह कृत्य उसे जीवन भर के लिए दे गया. क्या साक्षी महाराज बिना जींस उतरवाये उस लड़की का दुख नहीं समझ पा रहे थे, जो उन्होंने ऐसी हरकत की.

सही है जिस में देश में पुरुषवादी सोच इस कदर मुखर हो कि लोग दो-चार की बच्ची के साथ भी शारीरिक सुख लेकर आनंदित होना चाहते हों और उस बच्ची को आजीवन खौफ के साये में जीने के लिए मजबूर करते हों, वहां तो इस तरह की घटनाएं होंगी ही. साक्षी महाराज और बाबूलाल गौर जैसे लोग जब सांसद और मंत्री होंगे तो महिलाएं किस तरह अपने आत्मसम्मान की रक्षा करेंगी, यह बात मेरी समझ से परे है. हम क्यों इस तरह के लोगों को अपना प्रतिनिधि चुनते हैं और क्यों उन्हें कानून बनाने वाली संसद तक पहुंचाते हैं. क्या इस देश की आधी आबादी इस पर विचार करेगी. कहा जाता है कि महिलाएं रेप का केस लेकर कोर्ट तक इसलिए नहीं जाना चाहती, क्योंकि उसके साथ तो एक बार खौफनाक हादसा होता ही है , कोर्ट में अश्लील और बेतुके सवाल पूछकर उसे और अपमानित किया जाता है.

दुखद यह है कि महिलाओं के साथ जब कोई अपमानजनक हरकत होती है, तो यह समाज महिला के साथ सहानुभूति नहीं रखता बल्कि चटखारे लेकर उस घटना का जिक्र करता है और संबंधित खबर को पढ़ता है. महिलाएं इस देश में तभी सम्मान की जिंदगी जी सकती हैं, जब पुरुष अपने दष्टिदोष को दूर करें, अन्यथा इस देश में इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी और दो-चार दिन चिढ़कर-लिखकर घटनाओं को भूल जायेंगे और घटनाएं इतिहास में दर्ज होती जायेंगी. मथुरा बलात्कार कांड, अरुणा रेप केस और दिल्ली गैंगरेप जैसी घटनाएं अब इतिहास ही हैं. अफसोस इस बात है कि आज भी महिलाओं को देह से ऊपर नहीं देखा जाता,जिसके कारण इस तरह की घटनाएं होती हैं.
रजनीश आनंद
06-05-16

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