गुरुवार, 12 मई 2016

...तब दमक उठेगा मेरा सौंदर्य


क्या तुमने कभी बिन जल मीन को तड़पते देखा है प्रिये?
जानते हो वो इतना छटपटाती क्यों है?
क्योंकि बिन जल उसका जीवन संभव नहीं
वह तो हमेशा जल के आगोश में रहना चाहती है
जब तक जल उसे खुद में समेटकर चूम नहीं लेता,
उसे चैन नहीं आता, वह तड़पती रहती है
लेकिन देखो ना प्रिये,यह जल कितना निर्मोही है
उसे मीन की तड़प कभी दिखती नहीं
वह तो अपनी धुन में बहता है
क्या तुम्हें भी मेरी तड़प नहीं दिखती
क्या मेरी आंखें तुम्हें नहीं कहतीं
कि तुम ही एकमात्र हो मेरे जीवन की आस
जिसके प्रेम की डोर ज्यों ही छूटेगी
शव ना हो जाऊं, तो जिंदा भी नहीं रहूंगी मैं
सांवरे मैं मीरा हूं तुम्हारी,
जो तुम मुख मोड़ भी लो, तो विश्वास है मुझे
प्रेम मेरा मेरी अंतिम सांस से पहले खींच लायेगा तुम्हें
क्षण भर के लिए ही सही आगोश में ले लेना मुझे
सच कहती हूं प्रिये, ये जो मेरी मांग में
तुम्हारे नाम का सिंदूर है, दमक उठेगा वह
और उस वक्त अप्रतिम होगा मेरा सौंदर्य...

रजनीश आनंद
12-05-16

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