मंगलवार, 3 मई 2016

मुझे है विरह से प्रेम...

ध्यान रखना तुम, मैं प्रेयसी तुम्हारी, तुम मेरे प्रिये हो
प्रेम में हमारे है ना कोई शर्त ना कोई बाध्यता
है तो बस प्रेम और समर्पण का वादा
जब भी हम साथ हों,टूट कर करें प्रेम बस प्रेम
विरह भी पस्त हो जायेगा, सम्मुख हमारे
मुझे है भरोसा एक दिन ऐसा भी आयेगा
जब हमारे मिलन की बेला में नतमस्तक वो खड़ा होगा
लेकिन सुनो ना प्रिये, तुम्हारे प्रेम में डूबकर
हो गया है विरह से मेरा अटूट नाता
जब तुम दूर होते हो, तब वही एकमात्र सखा होता है मेरा
विरह की आग ज्यों-ज्यों तड़पाती है
तुम्हारे प्रति बढ़ता ही जाता है प्रेम मेरा
जाने कब विरह में जलकर मैं बन गयी तुम्हारी मीरा
इसलिए आओ ना प्रिये इस विरह की बेला में भी
हम डूब जायें इस कदर प्रेम रस में
कि विरह को भी हो जाये हमारे प्रेम से अगाध प्रेम
 रजनीश आनंद
02-05-16   

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