पतंग की तरह
ऊंचे आसमान में
उड़ना चाहती हूंं
जानते हैं सब
अगर ढील मिली
तो ऊंचे उड़ जाऊंगी मैं
इसलिए लटई को
तान कर पकड़ते हैंं
अंकुश लगते हैं
मेरी उड़ान पर
सुरक्षा के नाम पर
काट दिए जाने का
डर दिखाते हैं
तो कभी आड़ लेते है
हवा के विपरीत दबाव का
लेकिन मैं अपने हिस्से का
आसमान चाहती हूं
किसी के अधिकारों
पर कब्जा नहीं
औरत हूं तो क्या ?
पूर्वाग्रह नहीं , मौका चाहती हूं...
ऊंचे आसमान में
उड़ना चाहती हूंं
जानते हैं सब
अगर ढील मिली
तो ऊंचे उड़ जाऊंगी मैं
इसलिए लटई को
तान कर पकड़ते हैंं
अंकुश लगते हैं
मेरी उड़ान पर
सुरक्षा के नाम पर
काट दिए जाने का
डर दिखाते हैं
तो कभी आड़ लेते है
हवा के विपरीत दबाव का
लेकिन मैं अपने हिस्से का
आसमान चाहती हूं
किसी के अधिकारों
पर कब्जा नहीं
औरत हूं तो क्या ?
पूर्वाग्रह नहीं , मौका चाहती हूं...
रजनीश आनंद
27-5-17
27-5-17
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें