मंगलवार, 16 मई 2017

सहजन का पेड़

मेरे घर के आंगन में खड़ा है
एक सहजन का पेड़
फल देने के बाद
काट दी जाती हैं जिसकी शाखाएं.
फिर भी वो विलाप नहींं करता
नयी उम्मीदों को संजोता है
और उन्हीं के सहारे
उसके तन पर खिलते हैं
नव पल्लव और पुनः
लहलहाता है पेड़
तमाम गुणों के बावजूद
पूजनीय नहीं बन पाया कभी
उस औरत की भांति
जिसे हमेशा इस्तेमाल कर
छोड़ दिया जाता है
तड़पने के लिए, लेकिन
मैं एक विवश औरत नहीं
उम्मीदों से परिपूर्ण नारी हूं
जिसने सीखा है सहजन के पेड़ से
उम्मीदों को संजो कर दुबारा जीना...
रजनीश आनंद
16-05-17

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें