शनिवार, 6 मई 2017

कहानी मेरी तुम्हारी...

कहानी नहीं ये आम है
जिसमें एक लड़का और
एक लड़की होते हैं
जिनके मिलन पर समाप्त का
बोर्ड चस्पां हो जाता है
ये कहानी तो अनूठी है
मेरी और तुम्हारी
जिसमें बहती है
हमारे प्रेम की नदी
जिसने सराबोर कर रखा है हमें
नदी के दो किनारे हम
प्रेम के उतार-चढ़ाव में भी
बहेंगे बिलकुल साथ
विस्तार और संकुचन के साथ
नदी के बूंद-बूंद में
बसता है प्रेम हमारा
नकारात्मक नहीं सकारात्मक है
इस प्रेम का उद्वेग
क्योंकि हमारे रिश्ते का आधार
सिर्फ और सिर्फ प्रेम है...
रजनीश आनंद
06-05-17

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