शुक्रवार, 24 मार्च 2017

मेरी सुबह...

मेरी सुबह सूरज के आने से नहीं होती
उस वक्त होती है जब तुम हौले से
मेरी कानों में गुड मार्निंग कहते हो
मेरी अलसाई अंगडाई को जब तुम
नजरों से चूम लेते हो, तो ऐसा सुकून
महसूस होता है, मानो शिवालय हो आयी मैं
इतना सुकून, इतनी खुशी,
पूरे दिन सराबोर रहती हूं मैं
रात तब होती है जब मैं समा जाती हूं
तुम्हारी बांहों में, मानों लहरें सागर में
नरम होंठों से छूकर तुम्हारी पेशानी को
अपनी पलकों में छुपा लेती हूं
तुम्हारी शरारती आंखो को
और दो होंठ कहते हैं एक दूसरे को गुड नाइट
और तब तुम समेट लेते हो मुझे खुद में
जैसे मैं कोई सपना हूं हसीन...
रजनीश आनंद
24-03-17

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