बुधवार, 10 अगस्त 2016

जब तक तुम ना कहो सुंदर

जब तक तुम ना कहो ‘सुंदर’
तब तक अधूरा है श्रृंगार ‘प्रिये’
पुकारा ‘मृगनयिनी’ कइयों ने
लेकिन, सौंदर्य नहीं हुआ ‘चपल’
जब तक तुम ना कहो ‘सुंदर’...
कैसे बताऊं मैं तुम्हें मायने
तुम्हारी एक नजर की
वो सुधि ले तो आनंदित तनमन
अन्यथा सूना जीवन का पल-पल
जब तक तुम ना कहो ‘सुंदर’..
हर सपना सिमटा तुममें
हर खुशी अंकित तुझमें
बिन श्रृंगार भी दमक उठेगा सौंदर्य
जो तुम कह दो सुंदर मुझे, सुंदर मुझे...

रजनीश आनंद
10-08-16

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