शनिवार, 24 सितंबर 2016

मुझे तुमसे जो हो गया है प्रेम...

मुझे तुमसे जो हो गया है प्रेम
लगता है बावली हो गयी हूं मैं
सोचती हूं अहा!
कितना हसीन होगा वो पल
जब होगे तुम मेरे सम्मुख और खुशी से
भर आयीं होगी मेरी आंखें
समझ नहीं पाऊंगी कि क्या करूं मैं
निहारूंगी तुम्हारा मुखमंडल
या बाहों में समा जाऊंगी
या छू लूंगी तुम्हें हौले से
या खो जाऊंगी तुम्हारी आंखों में
जिसमें सजे हैं सपने कई
जिसे सजाया है हमने मिलकर
लेकिन जानते हो तुम बड़ी दुष्ट हैं
तुम्हारी आंखें, जितना मैं झांकती हूं इनमें
खुद से दूर होती जाती हूं
काबू नहीं रहता तनमन पर
लेकिन क्या करूं मैं
भाता है मुझे यह सब
क्योंकि मुझे खुद से ज्यादा
तुमसे जो हो गया है प्रेम...
रजनीश आनंद
24-09-16

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