शनिवार, 18 जून 2016

प्रेरणा

मेरे लिए रिश्ते बहुत मायने रखते हैं. इसलिए मैं चुनिंदा रिश्ते बनाती हूं. कुछ रिश्ते जन्म से हैं, जो मेरी लाइफ लाइन हैं और कुछ रिश्तों को मैंने चुना है या यूं कह सकते हैं कि ईश्वर का वरदान हैं वो मेरे लिए. कोई मेरा मित्र है, कोई अग्रज, कोई अनुज और कोई इतना खास कि उसके बारे में पूरी उम्र लिखूं तो भी सारी बात ना लिख पाऊं, जितना मुझे इन रिश्तों से मिला है.

मैं पत्रकारिता में हूं तो अपने भैया के कारण. उन्होंने ही मुझे प्रेरित किया था. मेरे परिवार में अखबार तो सब पढ़ते हैं, लेकिन अखबार में काम किसी ने नहीं किया. मेरे भाई यानी ‘भैया’ का मेरे जीवन में अहम स्थान है. यह रिश्ता मेरे लिए इतना खास है कि इसे लिखते वक्त मेरी आंखें भर आयीं हैं. दुख से नहीं प्रेम से. मैंने हमेशा उनके सानिध्य में प्रेम महसूस किया है. जब भी दुखी हुई हूं लिपट कर रोई हूं उनसे, सच कहती हूं अजीब से सुकून मिलता है. सभी बहनों को मिलता होगा. मेरा एक ही नाम है रजनीश आनंद. अकसर लोगों को घर में प्यार के नाम या निक नेम से पुकारा जाता है,

लेकिन मुझे सब रजनीश ही बुलाते हैं. लेकिन भैया मुझे ‘बुचु’ बुलाते हैं. हमेशा नहीं कभी-कभी. उनका यह संबोधन हजार खुशियों से बड़ा है. बचपन में उनके साथ साइकिल पर बैठकर मैं आलू लाने और गेहूं पिसाने जाती थी. ढलान पर भैया तेज साइकिल चलाते थे तो मैं डर से आंखें बंद कर लेती थी, लेकिन कभी असुरक्षा का भाव नहीं आया. हमेशा सुरक्षित महसूस किया. भैया के अलावा कुछ और भाई हैं मेरे, जिनसे मेरा खून का रिश्ता है. सब के साथ अनोखा है मेरा रिश्ता.

लेकिन मेरे कुछ ऐसे भाई भी हैं, जिनसे मेरा खून का रिश्ता नहीं. लेकिन फिर भी वो मेरे लिए अनमोल हैं. मेरा ऐसा ही एक भाई है जो मेरे साथ काम करता है. बेहद ही ऊर्जावान. लेकिन मस्तमौला. कुछ कर गुजरने का जुनून तो है, लेकिन लापरवाह भी है.कल उसने मुझसे थोड़ी सी बहस की और कहा है कि आप नारीवादी सोच रखती हैं और बेवजह लड़कों पर आरोप लगाती हैं. आप किसी मुद्दे पर कैसे कह सकती है कि पुरुष ऐसा सोचते हैं आप महिला हैं तो महिला का दृष्टिकोण बतायें, पुरुष क्या सोचते हैं यह आप ना बतायें.

 उसकी इस बात से मुझे प्रेरणा मिली. मैं एक महिला हूं और मेरी एक सोच है. अपने आसपास के वातावरण, समाज, राजनीति, देश-दुनिया, संबंधों, खेल आदि पर मैं जो सोचती हूं उसे मैं लिखना चाहती हूं. इसलिए नये सप्ताह से इन विषयों पर मैं लिखूंगी. जो मुझे पढ़ते हैं, उनसे आग्रह है कि अगर अच्छा ना लिखा जा रहा हो, तो फीडबैक देंगे.
रजनीश आनंद
18-06-16

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