मंगलवार, 28 जून 2016

प्रेम और औरत

जैसा कि मैंने आपको पहले भी बताया है कि इस कॉलम में मैं सिर्फ नारी मन की बात कहने वाली हूं. भले ही वह पुरुषों से संबंधित हो, फिर भी मैं दृष्टिकोण एकतरफा होगा. ऐसा इसलिए कि पुरुषों का यह मानना है कि कोई नारी पुरुष के विचार को कैसे अभिव्यक्त कर सकती है. सही है. मैं इस बात से इत्तेफाक रखती हूं. स्त्री-पुरुष का जीवन इस तरह एक दूसरे से जुड़ा है कि दोनों एक दूसरे से शिद्दत से मोहब्बत करते हैं. दोनों का जीवन एक दूसरे के बिना अपूर्ण है, इसलिए मैं आज पुरुषों से विरोध की नहीं, उनसे नफरत की बात करूंगी.

‘प्रेम’ अद्‌भुत एहसास है. इसे महज रासायनिक क्रिया कहकर परिभाषित नहीं किया जा सकता. अगर यह सिर्फ इतना ही होता तो इसका ‘सरवाइव’ करना थोड़ा मुश्किल होता. क्या विज्ञान आपको यह बता है कि कि एक इंसान दूसरे इंसान का हाथ थामे भूखे-प्यासे घंटों क्यों बैठा रह जाता है? मुझे पता है नहीं बता सकता है, दरअसल यह प्रेम है जनाब! जब एक बच्चे को चोट लगती है तो उसकी मां कराह उठती है, क्यों? क्योंकि यह प्रेम का संबंध है. तो एक बार दिल/दिमाग जहां से भी प्रेम की शुरुआत आप मानते हैं, उसपर जोर डालिए और उससे पूछिए आपके जीवन में प्रेम के क्या मायने हैं, तब तक मैं अपनी बात कहती हूं.

आपने अमिताभ बच्चन की शराबी देखी है, उसमें वे एक डायलॉग बोलते हैं, हमारी जिंदगी का तंबू, तीन बंबुओं पर खड़ा है-शराब, शायरी और आप. मैं भी उसी तर्ज पर कहना चाहती हूं कि हमारी जिंदगी का तंबू, तीन बंबुओं पर खड़ा है-परिवार, पत्रकारिता और प्रेम. इस इक्वेशन में कॉमन फैक्टर है प्रेम. मुझे अपने परिवार, पत्रकारिता और प्रेम से प्रेम है. चूंकि मैं एक औरत का दृष्टिकोण बता रही हूं, इसलिए यह कहना चाहती हूं कि एक आम औरत प्रेम को लेकर काफी गंभीर होती है. अपवाद हर जगह है मैं उनकी चर्चा नहीं कर रही हूं. लड़कियों के लिए प्यार उनकी लाइफलाइन होता है और इसे संजोने के लिए वह कुछ भी करती है.

छोटा सा उदाहरण देखें- अगर कोई लड़की मीठा नहीं खाती और उसे सिर्फ नमकीन ही पसंद था वह भी प्यार में पड़कर नमकीन खाने लगती है. जींस पहनने वाली साड़ी और साड़ी वाली जींस पहनकर चहकने लगती है. मैंने कई शाकाहारियों को मांसाहारी और मांसाहारी को शाकाहारी बनते देखा है. विशेष बात यह है कि ऐसा महिलाएं खीज से नहीं करतीं, बल्कि प्रेम से खुश होकर करती हैं.

महिलाएं प्रेम में पड़कर हर छोटी से छोटी बात को भी संजोकर रखना चाहती हैं. हो सकता है, वह छोटी बात उसके पति/प्रेमी का कोई छोटा सा वाक्य ही क्यों ना हो. एक बात और एक औरत एक समय में एक ही व्यक्ति से प्यार कर सकती है, इससे ज्यादा उससे संभव नहीं.अपवाद हो सकता है, लेकिन यह एक टफ टास्क ही होगा उसके लिए.

तो लब्बोलुआब यह है कि औरत प्रेम के बिना नहीं जी सकती, फिर चाहे वो प्रेम उसे प्रत्यक्ष मिले या अप्रत्यक्ष. अप्रत्यक्ष इसलिए कहा क्योंकि कई महिलाएं वर्षों गुजार देती हैं अकेले अपने प्रेम की याद में उन्हें प्रत्यक्ष प्रेम कभी नसीब नहीं होता, तो उसकी उम्मीद रहती है. आपका क्या कहना है इस बारे में?

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