क्यों मेरी हर इच्छा पर
ताला लगा दिया जाता है?
और चाबी नहीं दी जाती मुझे
मरती इच्छाओं के बंद कमरे में
घुटन सी महसूस होती है
पसीने से तर-बतर शरीर
लेकिन फिर भी मैं
जद्दोजहद करती हूं
कोई झरोखा मिल जाये
जहां से झांकू मैं
अपनी इच्छाओं का बालपन निहारूं
उसकी अल्हड़ जवानी का लुत्फ उठाऊं
लेकिन नहीं, मैंने तो हमेशा
अपनी इच्छाओं को अर्थीं पर देखा
हां, उसे कांधा देने समाज के कई ठेकेदार आ जाते थे
लेकिन बस अब और नहीं
तय कर लिया है मैंने
तोड़ दूंगी हर दीवार
नहीं सजने दूंगी
अपनी इच्छाओं की अर्थी
औरत हूं मैं, सृजन कर सकती हूं
तो जन्म दूंगी अपनी
इच्छाओं के मधुर जीवन को
मासूम बालपन से गंभीर वृद्धावस्था
तक संवारूंगी उसे, क्योंकि अब कोई
ताला नहीं लगा सकेगा मेरी इच्छाओं पर...
रजनीश आनंद
05-01-17
ताला लगा दिया जाता है?
और चाबी नहीं दी जाती मुझे
मरती इच्छाओं के बंद कमरे में
घुटन सी महसूस होती है
पसीने से तर-बतर शरीर
लेकिन फिर भी मैं
जद्दोजहद करती हूं
कोई झरोखा मिल जाये
जहां से झांकू मैं
अपनी इच्छाओं का बालपन निहारूं
उसकी अल्हड़ जवानी का लुत्फ उठाऊं
लेकिन नहीं, मैंने तो हमेशा
अपनी इच्छाओं को अर्थीं पर देखा
हां, उसे कांधा देने समाज के कई ठेकेदार आ जाते थे
लेकिन बस अब और नहीं
तय कर लिया है मैंने
तोड़ दूंगी हर दीवार
नहीं सजने दूंगी
अपनी इच्छाओं की अर्थी
औरत हूं मैं, सृजन कर सकती हूं
तो जन्म दूंगी अपनी
इच्छाओं के मधुर जीवन को
मासूम बालपन से गंभीर वृद्धावस्था
तक संवारूंगी उसे, क्योंकि अब कोई
ताला नहीं लगा सकेगा मेरी इच्छाओं पर...
रजनीश आनंद
05-01-17
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