बुधवार, 25 जनवरी 2017

...क्योंकि मुझे खुद से हो गया प्रेम है


सुबह -सुबह उठकर कभी महसूसा नहीं
ताजी हवा को, कि सोचा नहीं
इतना रोमांचित करती होगी सुबह
भागमभाग की जिंदगी
घर-आफिस-बच्चे
कहां वक्त, यह सोचने की
कि ताजी हवा गुदगुदाती भी है
मैं तो उलझी रही
झाड़ू-पोंछा, रोटी, प्रेशरकुकर और
रोज की ब्रेकिंग खबरों में
नाश्ते की भी फुरसत नहीं
गर्म दाल-रोटी को फूंक-फूंककर कभी खाती
कभी छोड़ भागती मैं
पर उस दिन, हां, मुझे अच्छी तरह याद है
जब तुम शामिल हुए मेरी दिनचर्या में
एक्ट्रावर्क की तरह नहीं,
स्पेशल असाइनमेंट बनकर
जिसने कराई मेरी खुद से पहचान
अब तो खुद से भी बातें कर लेती हूं
रातें अकेली नहीं होती, क्योंकि कागज पर तुम्हें उकेरती हूं
सुबह जब आंखें खोलती हूं, खुद से कह लेती हूं गुड मार्निंग
क्योंकि जब से तुम आये, मुझे खुद से हो गया प्रेम है...

रजनीश आनंद
25-01-17

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