रातें खामोश नहीं होती, बोलती हैं
अकसर जब बैठ कर अकेली
मैं इससे बातें करती हूं.
स्याह अंधेरा कहता है
खोल दो जुल्फों को अपनी
कि मैं इनमें उलझना चाहता हूं
लेकिन रूको, कुछ महसूस तो करो हिज्र को
देखो तो ये नीला आकाश
चांद के बिना भी सुंदर दिखता है
जिस रोज चांदनी आकाश की बांहों में होगी
वो रात तो सुकून देगी ही
तब तक तुम मेरे बांहों के घेरे को महसूस करो
और सो जाओ सुकून की नींद
क्योंकि रातें खामोश नहीं होती
वो बहुत कुछ कहती हैं
जरा सुनो तो, आंखें बंद करके...
रजनीश आनंद
25-01-16
अकसर जब बैठ कर अकेली
मैं इससे बातें करती हूं.
स्याह अंधेरा कहता है
खोल दो जुल्फों को अपनी
कि मैं इनमें उलझना चाहता हूं
लेकिन रूको, कुछ महसूस तो करो हिज्र को
देखो तो ये नीला आकाश
चांद के बिना भी सुंदर दिखता है
जिस रोज चांदनी आकाश की बांहों में होगी
वो रात तो सुकून देगी ही
तब तक तुम मेरे बांहों के घेरे को महसूस करो
और सो जाओ सुकून की नींद
क्योंकि रातें खामोश नहीं होती
वो बहुत कुछ कहती हैं
जरा सुनो तो, आंखें बंद करके...
रजनीश आनंद
25-01-16
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