बुधवार, 11 अक्तूबर 2017

मोहब्बत बस मोहब्बत...

हां, मैं एक औरत हूं
जिसे मोहब्बत है
एक ऐसे पुरूष से
जिसकी बांहों में गरमाहट
व्यवहार में अपनापन है
जो धौंस नहीं जमाता
अपने पुरूषत्व का
ना अपमानित करता है
मेरे स्त्रीत्व को
जिसके लिए प्रेम का आशय
मात्र मेरे शरीर को मसलना नहीं
जो तरजीह देता है
मेरी सहमति, असहमति को
जो यह तो नहीं कहता
कि चाय जूठी कर दो मीठी हो जायेगी
पर हर निवाला खाना से पहले
कहता है मुझसे खाओ प्रिये
और हर बार जब
मैं सिमटना चाहती हूं उसमें
उसकी आंखों में होता है
मेरे लिए अथाह प्रेम
हां, मुझे मोहब्बत है ऐसे शख्स से
मोहब्बत बस मोहब्बत...

रजनीश आनंद
11-10-17

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