शनिवार, 14 अक्तूबर 2017

लड़कियों की नियति 'छोड़ना'

छोड़ना तो जैसे
लड़कियों की नियति
बचपन में खिलौने
लड़कपन में सखियां
और जवानी में
सीने से कलेजे को
निकाल अपनी गलियां
आंसुओं को भी छोड़ देती है
लड़कियां दूसरों की मुस्कान पर
अपनी मुस्कान तो कहां
छोड़ आती है, स्मरण नहीं
तब कोई नहीं
करता सवाल हमसे?
सवाल तो तब
दागे जाते हैं
जब छोड़ आती हैं लड़कियां
अपनी मुस्कान के लिए
कुछ पल ही सही
जिम्मेदारियों का थैला
सवाल छोड़ते नहीं
पीछे भागते हैंं
डराते , धमकाते हैं
मु्ट्ठी में कैद
ख्वाबों को छुड़ाना
चाहते हैं, जिसे
कसकर पकड़ा है मैंने
लेकिन इस बार
सवालों के डर से
मैं पिंड छुड़ाकर
भागूंगी नहीं, क्योंकि
भागने की कला
तो सिर्फ मैं जानती हूंं...

रजनीश आनंद
14-10-17

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