सोमवार, 16 अक्तूबर 2017

वो जो कतरा -कतरा सा...

वो जो छोड़ गये
तुम मेरे पास कुछ
दाना-दाना सा
भरपूर मीठा है
तुम्हारे प्रेम से
जानते हो तुम
हर रात बैठ अकेली मैं
चुगती हूं कतरा-कतरा
और हर दाना
करता है शरारत मुझसे
मेरे वक्ष से लिपट
खो जाता है मुझमें
जैसे कभी तुम ,
और मैं भर जाती हूं
तुम्हारी ऊष्मा से...

रजनीश आनंद
16-10-17

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