गुरुवार, 26 अक्तूबर 2017

मैं रोती हूं तुम्हारे लिये...

मैं रोती हूं तुम्हारे लिये
पूरे तड़प के साथ
जब तुम नहींं आते
क्योंकि इंतजार में तुम्हारे
बिखेर कर रखा था
जुल्फों को,ताकि तुम
संवार दो इन्हें और
मेरे हाथों को थाम
कह दो, मैं हमेशा
संग तुम्हारे, लेकिन
जब बिखरे केश मैं
खुद से संवारती हूं
तब आंसू बरसते हैं
कानों में गूंजती है
तुम्हारी आवाज
समय पर बस नहीं तुम्हारा
वह तुम्हें भगा रहा
पर तुम आओगे जरूर
तब आंखें मींचकर
मैं खुद को भरोसा दिलाती हूं
हम साथ होंगे, तब हाथों में हाथ होगा
बस मौन और प्रेम संग होगा
तब आंंखों से लगातार बरसते हैं
आंसू, विरह के नहीं ,मिलन के रोमांच के
तभी तो तुम्हारे लिए
रोना भी खुशी से भरपूर होता है...

रजनीश आनंद
26-10-17

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