सोमवार, 13 फ़रवरी 2017

पर ना भूलना मेरे प्रेम को...

कोई मजबूरी नहीं तुम्हारा प्रेम
जिसे छुपाती फिरूं मैं
यह गर्व का विषय है
जो स्पष्ट दिखता है
मेरे चेहरे पर
जब पुकारते हो तुम मुझे
तो दमक उठता है चेहरा मेरा
जैसे चांद के आने से इठलाती है रात
तुम्हारी महक में इस कदर सराबोर हूं
जैसे उपवन में मंडराती कोई तितली
मेरे नयनों में सजते हैं सपने तब
जब शिद्दत से कहते हो तुम
हां, मुझे तुमसे प्रेम है,
मेरे सीने में हमेशा जीवित रहेगा यह प्रेम
बस इतनी सी है गुजारिश
चाहे तो भूल जाना मुझे
पर ना भूलना मेरे प्रेम को,
इसकी खुशबू को
ताकि मुझे हमेशा महसूस हो
तुम आसपास हो मेरे...

रजनीश आनंद
13-02-17

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