बुधवार, 22 फ़रवरी 2017

...जिसपर लिखा था सबसे छुपाकर तुम्हारा नाम

रात की तन्हाई में जब भी
मैं किताब को थाम कर बैठती हूं
तुम्हारे आसपास होने का एहसास
करा जाती हैं हवाएं.
कानों में चुपके से कहतीं हैं
सोना नहीं वो आयेगा
सजा ले सपने तू पलकों पे
सुन कर उसकी बात मैंने
लजाकर ज्यों किताब को भींचा
हैरान हो गयी मैं
किताब में धड़क रहा था तुम्हारा दिल
धड़कते दिल की बात समझने की
चाह में मैंने पलटा ज्यों किताब का पन्ना
तुम्हारी प्यारी आवाज कानों में गूंज गयी
जिसने किया मुझसे ये वादा
तुम हर पल साथ खड़े हो मेरे
देह या अदेह, स्वरूप कोई भी हो
तुमने थाम रखा है हाथ मेरा
तुम हर संघर्ष में हो साथ मेरे
पहाड़ से मजबूत इरादों के साथ
तुम्हारे वादे पर यकीन कर मैंने
किताब को चूम लिया
जिसपर लिख रखा था
सबसे छुपाकर मैंने नाम तुम्हारा...
रजनीश आनंद
23-02-17

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