शनिवार, 4 फ़रवरी 2017

एक उम्मीद है...


खामोश सी जिंदगी में
एक उम्मीद है इस बात की
अभी कोई अपना सा आकर
पूछेगा हाल मेरा, थाम कर हाथ मेरा
कहेगा चलो कुछ देर जी लें हम-तुम
शहर की सड़कों पर चलें हम बेपरवाह
चेहरे पर बिखरते बालों को
समेटकर कहे, वो खुले बालों में
सुंदर दिखती हो तुम.
किसी महंगे से मॉल के शोकेस में लगी
सुंदर साड़ी को दिखाकर उसे
मैं कहूं उससे ये वाली चाहिए मुझे
और वो मुस्कुरा कहे, हां जरूर
मैं लेकर दूंगा तुम्हें
उसकी यही बात सुकून दे जायेगी
साड़ी तो बस बहाना है
उसके दिल में अपने लिए
जगह तलाशना चाहती हूं मैं...

रजनीश आनंद
04-02-17

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