बुधवार, 27 जुलाई 2016

कौन हो तुम मेरा हृदय में...

हर पल यह सोचती हूं मैं
कौन हो तुम मेरा हृदय में
जिसकी मुस्कान से
तनमन में भर जाती है ऊर्जा
जिसकी चुप्पी  कर देती है अधीर
जिसके ना आने से ढलक जाते हैं अश्रु
जिसकी एक पुकार कर देती है बेकरार
क्यों तुम्हारे साथ के लिए आतुर हूं मैं
क्यों नहीं है कोई और सूरत मनोहर
सिर्फ तुम ही तुम क्यों हो हृदय में
लेकर तेरा नाम क्यों रात सुलाती है मुझे
भोर भी तेरी तसवीर सामने रख जगाती है मुझे
दिखता नहीं कोई बंधन फिर भी
आबद्ध हूं आजीवन तुमसे
कौन हो तुम मेरा हृदय में...

रजनीश आनंद
27-07-16

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