मेरा कुछ भी नहीं प्रिये,
जो है सब तुम्हारा है.
होंठों पर थिरकती है हंसी तब,
जब पास तुम आते हो.
कजरारे नयन भी मतवाले होते हैं तब,
जब झलक तुम्हारी पाते हैं.
खनकती कलाइयों में हैं चूड़ियां तब,
जब तुम संग होते हो.
मेरा कुछ भी नहीं प्रिये...
छनक जाती है पैरों में पायल तब,
जब बाहुपाश में तुम कसते हो.
केश बन बादल बिखरते हैं तब,
जब लबों पर तुम्हारे अधरों के निशान बनते हैं.
बरस उठती हैं मेरे नैना तब,
जब निर्मोही तुम हो जाते हो.
फिर भी पहाड़ों सा स्थिर रहता मन,
कहता तुम प्रियतम मेरे मैं प्रेयसी तुम्हारी हूं.
मेरा कुछ ही नहीं प्रिये,
जो है सब तुम्हारा है...
रजनीश आनंद
07-07-16
जो है सब तुम्हारा है.
होंठों पर थिरकती है हंसी तब,
जब पास तुम आते हो.
कजरारे नयन भी मतवाले होते हैं तब,
जब झलक तुम्हारी पाते हैं.
खनकती कलाइयों में हैं चूड़ियां तब,
जब तुम संग होते हो.
मेरा कुछ भी नहीं प्रिये...
छनक जाती है पैरों में पायल तब,
जब बाहुपाश में तुम कसते हो.
केश बन बादल बिखरते हैं तब,
जब लबों पर तुम्हारे अधरों के निशान बनते हैं.
बरस उठती हैं मेरे नैना तब,
जब निर्मोही तुम हो जाते हो.
फिर भी पहाड़ों सा स्थिर रहता मन,
कहता तुम प्रियतम मेरे मैं प्रेयसी तुम्हारी हूं.
मेरा कुछ ही नहीं प्रिये,
जो है सब तुम्हारा है...
रजनीश आनंद
07-07-16
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें