शुक्रवार, 23 दिसंबर 2016

पूरे हुए एक साल

आज फेसबुक की मेहरबानी से मुझे यह याद आया कि ब्लॉग लिखते हुए मुझे पूरे एक वर्ष हो गये. इतने दिनों में मैं जितना और जो कुछ भी लिखना चाहती थी, उससे बहुत कम ही लिख पायी हूं. मैं अभी तक वो तेवर नहीं ला पायी, जो लाना चाहती हूं. समय का अभाव है, यह कहकर मैं बच तो नहीं सकती, हां यह जरूर कह सकती हूं कि अगर दिनभर में 24 घंटे से ज्यादा होते तो अच्छा रहता, कुछ ज्यादा समय लिखने-पढ़ने के लिए निकाल पाती. मैं उन तमाम लोगों को धन्यवाद कहना चाहती हूं, जिन्होंने मुझे पढ़ा. अब तक लगभग आठ हजार लोगों ने मेरी रचनाओं को पढ़ा है. मैं उन सब के प्रति आभार प्रकट करना चाहती हूं. मैं एक पत्रकार हूं और अपने आसपास होती चीजों को जिस तरह से देखती हूं, उसे उसी तरह अपनी रचनाओं में समाहित करती हूं. मैं कहानी लिखती तो हूं लेकिन कथाकार की तरह नहीं एक पत्रकार की तरह. साहित्य के ज्ञाता मेरी टांग खिंच सकते हैं, क्योंकि मैं साहित्य का विज्ञान नहीं जानती. कविताएं मैं लिखती हूं, जिसमें मेरे भाव हैं कविता का विज्ञान नहीं. फिर भी आप सब ने मुझे पढ़ा इसके लिए बहुत धन्यवाद.  मैंने पिछले साल अपने छोटे भाई पंकज पाठक के प्रेरित करने पर ब्लॉग लिखने की शुरुआत की थी और अब सोचती हूं कि आजीवन कलम या कंप्यूटर जो कह लें चलाऊंगी. मेरे अंदर यह सोच मेरे कुछ करीबियों ने डेवलप किया है. उनका तहेदिल से आभार. उनकी प्रेरणा से ही मैं लिख पाती हूं. मैंने सोचा है कि नये साल से मैं अपने ब्लॉग में कुछ नया करने की कोशिश करूंगी. कुछ मन की बात होगी, कुछ समाज की कुछ देश-दुनिया की. एक बार फिर आप सब का आभार.

रजनीश आनंंद
23-12-16

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