ओह कितनी मादक हो चली है ये रात
आकाश में मुदित चांद
और मैं अपने चांद की बांहों में
आकाश में तारे चमक रहे हैं,
धरती पर तुम्हारी आंखें
इन चमकीली आंखों में एक संकेत है
मेरे लिए, हां सिर्फ मेरे लिए
कि आलिंगनबद्ध हो जाऊं मैं तुमसे
चाहत तो मेरी भी यही है
पर मुझे मोह हो चला है तुम्हारी
आंखों की पुतलियों में देखने का
यह प्रेम का सागर है, जिसका जल
बुझा देता है मेरी हर प्यास
और चुपके से कहता है मुझसे
जिसे मैं साफ पढ़ रही हूं
कि
मैं दुनिया की सबसे सुंदर औरत हूं
और तुम मुझसे अथाह प्रेम करते हो
रजनीश आनंद
26-12-16
आकाश में मुदित चांद
और मैं अपने चांद की बांहों में
आकाश में तारे चमक रहे हैं,
धरती पर तुम्हारी आंखें
इन चमकीली आंखों में एक संकेत है
मेरे लिए, हां सिर्फ मेरे लिए
कि आलिंगनबद्ध हो जाऊं मैं तुमसे
चाहत तो मेरी भी यही है
पर मुझे मोह हो चला है तुम्हारी
आंखों की पुतलियों में देखने का
यह प्रेम का सागर है, जिसका जल
बुझा देता है मेरी हर प्यास
और चुपके से कहता है मुझसे
जिसे मैं साफ पढ़ रही हूं
कि
मैं दुनिया की सबसे सुंदर औरत हूं
और तुम मुझसे अथाह प्रेम करते हो
रजनीश आनंद
26-12-16
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