बुधवार, 21 दिसंबर 2016

तू जिसे आराध्य बना दें हमारा...

ना जाने ये क्या हुआ मुझे?
मेरा दिल धड़कता तो
मेरे सीने में है, लेकिन
हर बार धड़कने से पहले
तुम्हारा नाम लेता है
मैंने कहा इससे
कितना नाशुक्र है तू
इतने साल सहेजा मैंने
और तू मेरा ना हुआ
दिल ने ये कहा,
मुझसे क्या कहती है
जरा अपनी सांसों से पूछ
कि
हर बार आने से पहले
वे किसका नाम लेती हैं
अपनी नजरों से पूछ
किसकी छवि उभरती है उनमें
अपने तनबदन से पूछ
किसकी खुशबू बसी है
अरे हम पर इल्जाम लगाने वाली
जरा खुद से तो पूछ
क्या तू खुद की रही है
अरे हम तो तेरे भरोसे हैं
तू जिसे आराध्य बना दें हमारा
उसके नाम पर धड़कते हैं...

रजनीश आनंद
21-12-16

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